कोरोना काल के दौरान बसों को टैक्स में छूट दी गई थी। लेकिन सितंबर के बाद छूट की अवधि पूरी हो गई है। ऐसे में यात्रीभार नहीं आने के कारण ऑपरेटर्स ने बसों का टैक्स जमा नहीं कराया है। वहीं, बसों की आरसी भी आरटीओ को सरेंडर कर रखी है। जयपुर में करीब एक हजार से अधिक बसों का टैक्स बकाया है और आरसी सरेंडर हैं। ऐसे में परिवहन विभाग ऐसी ही बसों पर नजर रख रहा है।
राजस्थान बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल जैन ने बताया कि एक बस फिर से सड़क पर दौड़ाने में डेढ़ लाख का खर्चा आता है। इसमें दो माह का टैक्स करीब 30 हजार, 80 से 1 लाख का इंश्योरेंस, 20 हजार के ड्राइवर-कंडक्टर, 10 हजार फिटनेस, स्थायी परमिट, टायर सहित अन्य खर्च शामिल हैं। उनके अनुसार शादी के लिए बस की बुकिंग लेते हैं तो 20 हजार रुपए आएंगे। इसलिए बस ऑपरेटर्स बुकिंग नहीं ले रहे हैं।
निजी बसों की दिक्कत देखते हुए रोडवेज ने बसों को बारात में भेजने की तैयारी कर ली है। रोडवेज ने इसके लिए दरें भी तय की हैं। 12 घंटे तक 200 किमी तक 9200 रुपए, 15 घंटे से अधिक लेकिन 18 घंटे तक 300 किमी पर 13800 रुपए। 24 घंटे के बाद प्रत्येक 3 घंटे तक 50 किमी के 2300 रुपए किराया लिया जा रहा है।