मंत्री ने बताया कि भाजपा सरकार और मंत्री ने जनता से वसूली करने के लिए इन ट्रैकों की योजना बनाई। इन्हें प्रदेशभर में स्मार्टचिप नाम की एक फर्म को ठेके पर दे दिया। कंपनी की ओर से लाइसेंस का अतिरिक्त शुल्क भी वसूला जा रहा है। ऐसे में जनता पर अतिरिक्त भार थोपा जा रहा है। वसूली की इस योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने आरटीओ राजेन्द्र वर्मा को ट्रैक शुरू नहीं करने के निर्देश दिए। भाजपा सरकार की ओर से चार साल पहले ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक शुरू करने की योजना बनाई थी। प्रदेश में 13 परिवहन कार्यालयों में ऐसे ट्रैक शुरू होने थे।
जयपुर के जगतपुरा कार्यालय में पहला ट्रैक तैयार कराया गया था। जगतपुरा में पिछले साल काम पूरा हो गया। भाजपा सरकार विस चुनाव से पहले ही इसका उद्घाटन करने की तैयारी कर रही थी। काम अधूरा होने से उद्घाटन अटक गया।
इस तरह होती नई ट्रायल – पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना जरूरी होता।
– दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के एच अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पड़ती।
– तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी।
– चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकने की बाध्यता।
– दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के एच अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पड़ती।
– तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी।
– चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकने की बाध्यता।
कहना है ये इनका सरकारी जमीन और सरकारी खर्चे से बने ट्रैक को जनता को लुटने के लिए शुरू नहीं किया जाएगा। प्रदेश में कहीं भी ट्रैक शुरू नहीं होगा। जयपुर के जगतपुरा में मैं खुद ट्रैक देखने जाऊंगा। यह भाजपा सरकार की कमाई का जरिया है।
-प्रताप सिंह खाचरियावास, परिवहन मंत्री
-प्रताप सिंह खाचरियावास, परिवहन मंत्री
ये होना था बदलाव -45 मिनट पहले पहुंचना होगा आरटीओ कार्यालय
-20 मिनट की क्लास होगी ट्रायल से पहले
-05 ड्राइविंग ट्रैक बनाए गए हैं कार्यालय में
-04 प्रक्रार के ड्राइविंग टेस्ट देने होंगे चालक को
-01 दुपहिया, 4 ट्रैक होंगे चौपहिया लाइसेंस के लिए
-20 मिनट की क्लास होगी ट्रायल से पहले
-05 ड्राइविंग ट्रैक बनाए गए हैं कार्यालय में
-04 प्रक्रार के ड्राइविंग टेस्ट देने होंगे चालक को
-01 दुपहिया, 4 ट्रैक होंगे चौपहिया लाइसेंस के लिए
राजस्थान पत्रिका ने मामले को उठाया परिवहन विभाग की ओर से ऑटोमैटिक ट्रैक को तीन बार शुरू करने की तैयारी की गई। मगर ट्रैक जनता के लिए फेल साबित हुआ। परिवहन अधिकारियों ने खुद इसका निरीक्षण किया।
राजस्थान पत्रिका ने लगातार इस मामले को उठाया था। इसके बाद परिवहन मंत्री ने ऑटोमैटिक ट्रैक और इसे निजी ठेके पर देने से नाराजगी जताई।
राजस्थान पत्रिका ने लगातार इस मामले को उठाया था। इसके बाद परिवहन मंत्री ने ऑटोमैटिक ट्रैक और इसे निजी ठेके पर देने से नाराजगी जताई।
जानिए, आखिर क्यों उठ रहे सवाल – इसके शुरू होने पर लाइसेंस शुल्क में 235 रुपए अतिरिक्त वसूली की जाने वाली थी।
– अभी लाइसेंस के 1350 रुपए लग रहे जो बढ़कर 1585 रुपए हो जाएंगे।
– परिवहन विभाग ने टै्रक को ठेके पर दे दिया, जिससे कोई उत्तरदायी नहीं रहा।
जिस फर्म स्मार्टचिप को ठेका दिया वह पंजाब में विवादों में रही है।
– ट्रैक को सरकारी जमीन पर सरकारी खर्चे से बनाया गया, जबकि निजी फर्म साफ्टवेयर लगा वसूली करने जा रही थी।
– तकनीकी रूप से फिट ना होते हुए भी ऐसे मानदंडों को शामिल किया जा रहा था, जिससे ट्रैक चलाया जा सके।
– अभी लाइसेंस के 1350 रुपए लग रहे जो बढ़कर 1585 रुपए हो जाएंगे।
– परिवहन विभाग ने टै्रक को ठेके पर दे दिया, जिससे कोई उत्तरदायी नहीं रहा।
जिस फर्म स्मार्टचिप को ठेका दिया वह पंजाब में विवादों में रही है।
– ट्रैक को सरकारी जमीन पर सरकारी खर्चे से बनाया गया, जबकि निजी फर्म साफ्टवेयर लगा वसूली करने जा रही थी।
– तकनीकी रूप से फिट ना होते हुए भी ऐसे मानदंडों को शामिल किया जा रहा था, जिससे ट्रैक चलाया जा सके।