दरअसल, दोपहर करीब दो बजे एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यू पूनिया ने आरोप लगाया कि उनके पदाधिकारियों के वाहनों को कैम्पस में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। साथ ही कहा कि एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री को गलत तरीके से कैम्पस में प्रवेश दिया गया है। इसी बात को लेकर बातचीत के साथ शुरू हुआ मामला इतना बढ़ गया कि पूनिया अपने समर्थकों के साथ यूनिवर्सिटी के प्रवेश द्वार पर धरने पर बैठ गए। तभी मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी उन्हें उठाने के लिए पहुंचे तो एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और पुलिस में झड़प हो गई। इसके बाद विरोध बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज के बाद मामला और बढ़ गया। एनएसयूआई कार्यकर्ता कुलपति, चीफ प्रोक्टर और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लग गए।
…तो एबीवीपी ने रोका यूनिवर्सिटी का निकास द्वार एनएसयूआई जहां यूनिवर्सिटी के प्रवेश द्वार की ओर धरने पर बैठी थी, तो वहीं एबीवीपी ने निकास द्वार पर कब्जा जमा लिया और गेट बंद कर दिया। गेट बंद करने के बाद उन्होंने जमकर सरकार के साथ ही एनएसयूआई के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान एक ओर जहां एनएसयूआई पुलिस के खिलाफ नारे लगा रही थी तो एबीवीपी पुलिस के समर्थन में नारे लगाती नजर आई।
एडिशनल डीसीपी ने शांत कराया मामला
एबीवीपी-एनएसयूआई के धरने-प्रदर्शन के बीच एडिशनल डीसीपी (ईस्ट) ललित शर्मा मौके पर पहुंचे और उन्होंने चीफ प्रोक्टर के साथ ही एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष एवं अन्य कार्यकर्ताओं से बात की। उन्होंने पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की। इसके बाद उन्होंने चीफ प्रोक्टर एच. एस. पलसानिया को कहा कि छात्रों की पहचान करने के बाद ही प्रवेश दें। इसके साथ ही गाडि़यों के प्रवेश के मामले को भी उन्होंने गंभीर मानते हुए यूनिवर्सिटी प्रोक्टर को इस दिशा में कदम उठाने के लिए कहा।