प्रदेश में जिला कलेक्टरों को हथियार लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के अधिकार हैं। वहीं, एसडीएम को एमएल गन यानी टोपीदार बंदूक के लाइसेंस जारी करने के अधिकार सौंपे हुए हैं। हथियार लेने के बाद कोई भी व्यक्ति कहीं भी लाइसेंस का नवीनीकरण करवा लेता है।
2012 में शुरू हुआ पोर्टल
कोई भी व्यक्ति किसी भी जिले से लाइसेंस ले सकता है। ऐसे में प्रदेश में कुल लाइसेंसी हथियार व नवीनीकृत लाइसेंस की एक साथ जानकारी नहीं मिल पाती थी। हथियार लाइसेंस में एकरूपता लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 24 जुलाई, 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आम्र्स लाइसेंस पोर्टल यानी नडाल शुरू किया।
फर्जी हथियारों पर रोक का प्रयास
नडाल पोर्टल पर सभी शस्त्र लाइसेंस धारियों की सभी प्रकार की सूचना अपलोड करनी थी। उसके बाद लाइसेंसधारी को एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर जारी किया जाता है। इस यूआईएन नंबर के जरिए देशभर में हथियार लाइसेंसधारी की पूरी जानकारी मिल सकती है। इस कवायद से फर्जी हथियार लाइसेंसधारियों पर रोक लगाना भी एक उद्देश्य था।
2016 से पहले हथियारों की समस्या
2016 में गृह मंत्रालय के एक नया सॉफ्टवेयर लागू करने के बाद से नए लाइसेंस ही ऑनलाइन जारी होते हैं। इसमें लाइसेंस के साथ ही यूआई नंबर भी मिल जाता है और नवीनीकरण भी ऑनलाइन ही होता है, लेकिन 2016 से पहले जारी हथियार लाइसेंस की सूचना एनडीएएल पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी थी, जिसकी अंतिम तारीख 31 मार्च, 2019 थी और इसके बाद बिना यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर वाले हथियार अवैध माने जाने थे।
सूत्रों के अनुसार कलेक्टर के स्तर पर एनडीएएल पर अपलोड करने का काम लगभग पूरा हो गया लेकिन एसडीएम के स्तर पर अधूरा है। इसका कारण हथियार लाइसेंस के नवीनीकरण की फीस बढ़ाया जाना बताया जा रहा है।
अब नहीं बढ़ेगी तारीख
गृह मंत्रालय पोर्टल पर हथियार लाइसेंस का डेटा अपलोड करने के लिए कई बार तारीख बढ़ा चुका है। इसके बावजूद हजारों लाइसेंसधारकों ने यूनिक नंबर नहीं लिया है। अब गृह विभाग ने 31 मार्च को तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया। ऐसे में कमोबेश सभी जिलों में रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस की तुलना में यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर लेने वाले बहुत कम हैं।
– पहले 5 रुपए प्रतिवर्ष के हिसाब से तीन साल के लगते थे 15 रुपए
– नवीनीकरण के समय 100 रुपए लगते थे
– अब 500 रुपए साल के हिसाब से तीन साल के 1500 रुपए
– लेट फीस के रूप में 1000 रुपए
– एक महीने बाद लेट फीस 2000 रुपए