मनरेगा के बजट में कटौती से प्रभावित होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
जयपुरPublished: Feb 03, 2020 12:54:33 am
केंद्रीय बजट में नहीं मिली राहत
मनरेगा के बजट में कटौती से प्रभावित होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
जयपुर। एक ओर जहां केन्द्र सरकार ग्रामीणों की आय बढ़ाने और ग्रामीणों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने की संकल्पबद्धता को दोहराती रहती है वहीं दूसरी ओर हाल ही में आए केंद्रीय बजट-2020-21 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में प्रभावी भूमिका निभाने वाले मनरेगा के बजट में कटौती किया जाना ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा को दर्शाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित कई रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि गांवों में उपभोक्ता खर्च का कम होने की वजह से भारत में आर्थिक मंदी बढ़ रही है। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय शक्ति में लगातार कमी आती रही तो आर्थिक मंदी की स्थिति और भी बिगड़ सकती है। लेकिन इसकी चिंता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में नहीं दिखाई। उन्होंने न केवल ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट घटा दिया, बल्कि ग्रामीणों की आमदनी का एक बड़ा जरिया मानी जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का बजट भी लगभग 15 फीसदी तक घटा दिया है।
केन्द्रीय बजट 2020-21 में मनरेगा के लिए 61500 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए गए हैं जबकि 2019-20 में बजट का संशोधित अनुमान 71001.81 करोड़ रुपए था। हालांकि बजट में असल अनुमान 60 हजार करोड़ रुपए का लगाया गया था। यानी कि संशोधित अनुमान के हिसाब से बात की जाए तो सरकार ने लगभग 10 हजार करोड़ रुपए (15 फीसदी) घटा दिया है।
अब बात करें सरकार के कदम की तो वर्तमान में अर्थव्यव्सथा के जो हालात नजर आ रहे हैं उसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी और मांग को बढ़ाए जाने की जरूरत है, न कि बजट में कमी किए जाने की। ऐसे समय में, जब देश में 45 साल बाद बेरोजगारी दर इस स्तर पर पहुंची है। मुद्रा स्फीति दर भी 71 माह के उच्चतम स्तर पर है और लोगों के क्रय शक्ति लगातार घटती जा रही है। विशेषज्ञों का अनुमान था कि सरकार मनरेगा पर खर्च बढ़ा सकती है।