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सिर्फ 18 से 60 साल के लोगों के लिए है रशियन वैक्सीन Sputnik V

locationजयपुरPublished: Aug 13, 2020 06:31:13 am

Submitted by:

Swatantra Jain

रूस द्वारा पंजीकृत वैक्सीन स्पुतनिक वी को दुनिया बहुत उम्मीदों से देख रही है। लेकिन अब इस वैक्सीन को लेकर रूस ने ही सबसे बड़ा खुलासा किया है।रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के साइंटिफिक सेंटर फार एक्सपर्ट इवैल्यूशन ऑफ मेडिकल प्रॉडक्ट्स के प्रमुख व्लादिमिर बोन्डारेव ने कहा है कि कोरोनोवायरस के खिलाफ रूस के नए टीके का उपयोग 18 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए ही सुरक्षित है।

रूस की अधिकारिक न्यूज वेबवसाइट SputnikNews पर किया गया है दावा, वैक्सीन बच्चों और वृद्धों के लिए नहीं

रूस के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अधिकारी का दावा, खास उम्र वर्ग के लोगों के लिए ही फिलहाल सुरक्षित ये है वैक्सीन

रूस द्वारा पंजीकृत वैक्सीन स्पुतनिक वी को दुनिया बहुत उम्मीदों से देख रही है। लेकिन अब इस वैक्सीन को लेकर रूस ने ही सबसे बड़ा खुलासा किया है।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के साइंटिफिक सेंटर फार एक्सपर्ट इवैल्यूशन ऑफ मेडिकल प्रॉडक्ट्स के प्रमुख व्लादिमिर बोन्डारेव ने कहा है कि कोरोनोवायरस के खिलाफ रूस के नए टीके का उपयोग 18 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए ही सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि रूस में, यह प्रमाणित करने का प्रचलन है कि किसी टीके को जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों, 18 से 60 वर्ष की आयु के वयस्क; और वृद्ध लोगों यानी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के प्रमाणित किया जाए। उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन के क्लीनिकल अध्ययन अब तक स्वयंसेवकों के एक समूह पर किए गए हैं। बॉन्डरेव ने एक ब्रीफिंग में कहा, कि ये अध्ययन 18 से 60 साल की उम्र के लोगों पर किए गए हैं। इस प्रकार यह संकेत दिया गया है कि ये टीका 18 से 60 साल के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाए।
बोन्डारेव ने यह भी कहा कि वृद्ध लोगों के लिए फिलहाल इस टीके के अतिरिक्त क्लीनिकल ट्रायल की आवश्यकता है। यह ट्रायल संभवतया पंजीकरण के बाद के क्लीनिकल परीक्षणों के दौरान किया जाएगा।
पर इस शख्स ने इस उम्र में भी लगवाई है वैक्सीन

इस बीच, गमालेया साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गाइनसबर्ग, जो कि वैक्सीन बनाने में मदद करने वाली प्रमुख संस्थाओं में से एक है, ने कहा है कि उन्हें भी ये टीका लगाया गया था और वह करीब 65 साल से अधिक उम्र के हैं, लेकिन उन्हें इस वैक्सीन से अच्छा महसूस हुआ।
रूस का यह बयान ऐसे समय में आया है कि जबकि WHO समेत अनेक पश्चिमी देश रूस की इस वैक्सीन पर सवाल उठा रहे हैं। रूस की इस वैक्सीन को

वैक्सीन के लिए पूरे परीक्षण नहीं किए जाने पर उठ रहे हैं सवाल

गमालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट और रूस के रक्षा मंत्रालय ने सुयंक्त रूप से विकसित किया है। इसका परीक्षण 18 जून को शुरू हुआ था जिसमें 38 स्वयंसेवी शामिल थे। इन सभी प्रतिभागियों में कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई। पहले समूह को 15 जुलाई और दूसरे समूह को 20 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। लेकिन वैज्ञानिक समुदाय इस पर सवाल उठा रहे हैं कि रूस ने ह्यूमन ट्रायल के सारे चरण पार नहीं किए हैं और बहुत कम लोगों पर इसका परीक्षण किया गया है। विशेषकर ट्रायल के तीसरे चरण को नहीं किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें कि ट्रॉयल का तीसरा चरण कई हजार लोगों पर होता है और इसमें तीन से चार महीने का समय लगता है ! यही वजह देते हुए कोरोना से बुरी तरह से परेशान होने के बाद भी अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से साफ मना कर दिया है। ब्रिटेन ने भी साफ कर दिया है कि वह अपने नागरिकों को रूसी वैक्‍सीन की डोज नहीं देगा। खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का यही कहना है कि बिना पक्के डाटा के वैक्सीन दिया जाना ठीक नहीं। इन हालातों में ये भी हो सकता है कि पहले कुछ वक्त रूस की जनता पर ही लोगों की नजरें टिकी रहेंगी कि वैक्सीन से उन पर क्या असर दिख रहा है। इसके बाद दूसरे देश भी रूसी वैक्सीन लेने की सोच सकते हैं।
रूसी एजेंसी TASS के मुताबिक रूस में यह वैक्‍सीन मुफ्त में मिलेगी। इस पर आने वाली लागत को देश के बजट में पूरा किया जाएगा। वहीं बाकी देशों के लिए वैक्सीन की कीमत का खुलासा अभी नहीं किया गया है।

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