भाजपा मुख्यालय पर प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुरजेवाला प्रेस वार्ता में इस तरह बात रख रहे थे, जैसे कोई डीजी बोल रहा हो। जिस तरह से मुख्यमंत्री निवास से किसी व्यक्ति ने बिना किसी ठोस आधार के प्रेस नोट और औडियो जारी किया और जिस तरह सुरजेवाला ने प्रेस वार्ता की, वह भाजपा ओर केन्द्रीय मंत्री की मानहानि है। गजेंद्र सिंह के द्वारा खुद इस बारे में स्पष्ट कर दिया गया है कि जिन्हें ऑडियो टेप को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की ओर से जारी किये गए, उनसे उनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है और अगर अशोक गहलोत सरकार दुनिया की किसी भी बड़ी से बड़ी जांच एजेंसी से जांच करवाना चाहती है तो करवा सकती है, यदि वह इस मामले में लिप्त पाए गए तो राजनीति छोड़ने को तैयार हैं। पूनियां ने कहा कि जिस संजय जैन का नाम लिया जा रहा है, वह कांग्रेस पार्टी का लूणकरणसर ब्लॉक अध्यक्ष रह चुका है। संजय जैन को भी इसी तरीके से बीजेपी के नेताओं को बदनाम करने के लिए लगाया गया है।
बिना गृह मंत्रालय की अनुमति के नहीं हो सकती कॉल रिकॉर्डिंग -कटारिया नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि पुलिस की परमिशन के आधार पर कोई टेपिंग नहीं हो सकती है। गृह विभाग के अनुमति के बाद ही फोन टेपिंग की जा सकती है। अधिकृत रूप से फाइल चलाने के बाद ही टेपिंग हो सकती है। एसीबी भी अनुमति लेने के बाद ही टेपिंग करती है। उसका अपना प्रोसिजर है। ऐसे में तो रास्ते चलते किसी का भी फोन टेपिंग कर ले। उन्होंने कहा कि किस अधिकार के तहत यह टेपिंग किया गया। इस हल्केपन से राजनीति चलेगी तो यह देश का दुर्भाग्य होगा।
जिसने ऑडियो जारी किया, पहले उसकी जांच हो- राठौड़ उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। इसके लिए भाजपा कानूनविदों से बात करेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री निवास पर से एक व्यक्ति ने कूटरचित आडियो जारी किया, सबसे पहले उसकी जांच होनी चाहिए। वह व्यक्ति कौन है, किस पद है और किस नाते वेतन ले रहा है।