प्रदेश कांग्रेस की बात करें तो किसान आंदोलन और अन्य मुद्दों पर सबसे ज्यादा आक्रमक रुख किसी नेता अपनाया है तो वह सचिन पायलट ही है। रविवार को किसानों के समर्थन में आय़ोजित हुए प्रदेश कांग्रेस के धरने में जिस तरह से सचिन पायलट ने संघ और भाजपा पर जमकर हमला बोला।
उसके बाद से पायलट के तल्ख तेवरों को लेकर सियासी गलियारों में भी खूब चर्चाएं हैं। कांग्रेस हलकों में चर्चा इस बात की है कि सचिन पायलट के तेवर आरएसएस और भाजपा के खिलाफ आज भी उतने ही तल्ख हैं जितने पहले थे, जबकि सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान उन पर भाजपा से मिलीभगत के आरोप तक लगाए गए थे।
आरोप लगाने वालों को भी नसीहत
पायलट कैंप से जुड़े नेताओं की माने तो जिन लोगों ने बाड़ाबंदी के दौरान सचिन पायलट पर भाजपा से मिलकर सरकार गिराने के आरोप लगाए थे उन लोगों को भी सचिन पायलट भाजपा पर करारा हमला कर ये नसीहत दे रहे हैं कि उन पर लगाए आरोप निराधार हैं, सचिन पायलट और उनके समर्थक नेता लगातार इन आरोपों को निराधार बता रहे थे वे भाजपा से मिले हुए नहीं हैं और न ही भाजपा में जाएंगे। ऐसे में साफ है कि संघ और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल पायलट ने आरोप लगाने वाले नेताओं को भी संदेश दे दिया है।
वहीं दूसरी ओर जिस तरह से सचिन पायलट किसानों के मुद्दों को लेकर आक्रमक हैं, इसके पीछे एक वजह ये भी है कि सचिन पायलट किसानों के मुद्दों को भली भांति समझते हैं और उनके इर्द-गिर्द ही राजनीति करना पसंद करते हैं। सचिन पायलट के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की छवि एक बड़े किसान नेता के रूप में रही है।
राजेश पायलट की गिनती देश के बड़े किसान नेताओं में होती थी। ऐसें में सचिन पायलट ने अपने पिता की किसानों के इर्द-गिर्द राजनीति को बड़े करीब से देखा है। यही वजह है कि रविवार को मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए पायलट ने कहा था कि मोदी सरकार में एक भी मंत्री ऐसा नहीं है जो किसानों से संबंध रखता हो, जिसे किसानों की समझ हो।