मनोकामना पूर्ति के लिए सफला एकादशी व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर नहाने के पानी में थोड़े से तिल मिलाकर स्नान करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत रखने और पूजा करने का संकल्प लें। विष्णुजी के साथ ही लक्ष्मीजी की भी पूजा करें। लक्ष्मीनारायण को केसर मिश्रित दूध से स्नान कराएं। पूजन के दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें। शिव जी की पूजा कर उन्हें बिल्व पत्र चढ़ाएं।
पौष मास और खरमास में आने की वजह से सफला एकादशी व्रत का महत्व बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित एमकुमार शर्मा बताते हैं कि पौष मास और खरमास के स्वामी होने के साथ ही भगवान विष्णु सफला एकादशी के भी स्वामी देव हैं। इन संयोगों के कारण सफला एकादशी पर विष्णुजी की पूजा-अर्चना त्वरित फलदायी मानी जाती है। यह व्रत करने से सभी सांसारिक सुख मिलते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस बार एकादशी शनिवार को होने से इस दिन शनिदेव की पूजा भी विशेष फलदायी होगी। एकादशी पर शनि देव के बीज मंत्र ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का ज्यादा से ज्यादा जाप करें। शनिदेव को काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाएं। शनि के प्रकोप को शांत करने के लिए आज काले तिल और गर्म कपड़ों का दान करना बहुत शुभ होगा। आज जरूरतमंदों को गर्म कपड़ों का दान जरूर करें। इन उपायों से शनि साढेसाती, ढैया, शनि महादशा, अंतरदशा आदि के कारण चल रही परेशानियों से राहत जरूर मिलेगी।