बतादें कि विश्वविद्यालय ने मई 2017 में गांव को गोद लिया था। इसके लिए 14 बिंदु भी तय किए गए थे। गांव को गोद लेने के बाद समय-समय पर समन्वय बैठकें की और समस्याओं की जानकारी ली, लेकिन गांव की समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। कई समस्याएं जस की तस है, जिससे ग्रामीण रोजाना रूबरू हो रहे हैं। ऐसे में ‘स्मार्ट विलेज’ की दृष्टि से कोई खास उपलब्धि नहीं है। गांव का बागीदौरा-बड़ोदिया मार्ग को विभाजित करने वाला तिराहा खस्ताहाल है। इसका ढांचा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। चारों ओर पुलिस के बोर्ड रखे हैं और बीच में टेलीफोन का पोल खड़ा है। विवि का कहना है कि उनके लिखे पत्र के बाद मुख्य मार्ग पर नाली निर्माण का कार्य शुरू हुआ और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने काम पूरा होने की जानकारी दी है, लेकिन हालात अलग हैं।
16 सितंबर 2017 को निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन
22 नवंबर 2017 को कुलपति ने ग्रामीणों से सुनी समस्याएं
20 सितंबर 2018 को कॅरियर गाइडेंस शिविर का आयोजन
22 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 पर क्विज का आयोजन
11 सिंतबर से 27 अक्टूबर 2019 तक स्वास्थ्य पर चर्चा