scriptबैलगाडिय़ों से रूस और अरब तक जाता था सांभर का नमक | Sambar salt used to go from bullock carts to Russia and Arabia | Patrika News

बैलगाडिय़ों से रूस और अरब तक जाता था सांभर का नमक

locationजयपुरPublished: Dec 02, 2019 12:57:37 am

Submitted by:

manoj sharma

वापसी में बंजारे लाते सूखे मेवे व अरबी घोड़े
 

बैलगाडिय़ों से रूस और अरब तक जाता था सांभर का नमक

बैलगाडिय़ों से रूस और अरब तक जाता था सांभर का नमक

-जितेन्द्र सिंह शेखावत

सांभर झील के नमक को बंजारे बैलगाडिय़ों से अरब देशों के साथ सोवियत संघ और बर्मा (वर्तमान म्यानमार) तक ले जाते। रूस के यूराल पर्वत इलाके में लक्खी बंजारा भोला सिंह का नाम लिखा कांसे का कटोरा मिला है। परिवार के साथ बैलगाडिय़ों में नमक के अलावा हिन्दुस्तान से काली मिर्च, लोभान, सोने-चांदी के जेवर, गरम मसाले और अनाज ले जाते और वापस आते समय गलीचे, अरबी घोड़े, सोना-चांदी और सूखे मेवे कपड़ा आदि सामान लाते। बंजारों पर पुस्तक लिख रहे काचरोदा निवासी महेश चन्द्र बंजारा के मुताबिक सांभर झील के नमक कारोबार से करीब एक लाख हिन्दू और मुसलमान बंजारों का जुड़ाव था। सांभर में फूलासिंह आदि बंजारों की छतरियों में उनके शिलालेख लगे हैं। देश में मंदिर और मस्जिदों के अलावा बंजारों ने कुएं, बावडिय़ां और सरायों का निर्माण कराया। दान पुण्य में आगे रहे मुसलमान बंजारे तो कब्र के बराबर अनाज गरीबों को बांट देते। फुलेरा के पास बंजारों के वफादार कुत्ते की याद में आठ खंभों की छतरी बनी है। लक्खी शाह और बल्लूराव लाखों बैलों के मालिक रहे। सिक्खों पर हमला करने वाले मुगल सेनापति मुर्तजा खान को बल्लूराव बंजारा ने अमृतसर में घेर कर मार दिया था। विक्रम संवत 508 में भैंसा शाह बंजारे ने अटरू में मंदिर बनवाया। बंजारों को लूटने वाले चम्बल के लुटेरों से भैसाशाह बंजारे के दल ने मुकाबला किया था। औलाद नहीं होने पर सुखानंद बंजारा ने अरबों की सम्पत्ति सरकार को सौंपी थी। हसनपुरा में बंजारा समाज के अजीज गौड़ ने बताया कि एसएमएस अस्पताल के बाहर बंजारा भौमियाजी का मंदिर और हसनपुरा व किशनपोल बाजार में मस्जिदें हैं। बालानंद मठ से जुड़े देवेन्द्र भगत ने बताया कि बंजारे देश के राजा-महाराजाओं को धन देते और धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों को हथियार और अनाज आदि के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराते। संचार के साधन नहीं होने पर हजारों कोस दूर के संदेश को लाने ले जाने का काम भी बंजारे करते। लक्खी बंजारे की मुख्य चौकी सांभर में लगती थी। बंजारे धन को गाड़ देते और दान-पुण्य में उनका हाथ खुला रहता।
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