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बजरी संकट : बिल्डरों ने सरकार को चेताया— तय समय पूरे नहीं होंगे प्रोजेक्ट

locationजयपुरPublished: Jan 12, 2018 01:00:17 am

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

बजरी खनन रोक से रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है। इससे राजस्थान में 550 बहुमंजिला इमारतों के साथ 10 हजार से ज्यादा निर्माण ठप हो गए हैं

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प्रदेश के बिल्डरों ने राज्य सरकार से तत्काल बजरी खनन के लिए छोटे स्तर पर लीज देने की जरूरत जताई है। इनमें नदी किनारे किसान—काश्तकारों को भी शामिल करने की राय दी गई है, जिससे की सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी पालना हो सके। ऐसा नहीं होने और बजरी खनन पर रोक लगे रहने से निर्धारित समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने में असमर्थता जता दी है। उनका तर्क है कि रेरा (रियल एस्टेट कानून) के तहत प्रोजेक्ट पूरा करने की मियाद तो तय है लेकिन बजरी नहीं होने से काम ठप है। ऐसे में समय पर प्रोजेक्ट पूरा हो ही नहीं सकता। लोगों को समय पर फ्लैट—मकान नहीं दिया जा सकता है। इसके लिए क्रेडाई राजस्थान प्रतिनिधि निर्धारित मियाद बढ़ाने की छूट देने के लिए रेरा अध्यक्ष (अतिरिक्त मुख्य सचिव, नगरीय विकास विभाग) मुकेश शर्मा से मिले और प्रोजेक्ट मियाद बढ़ाने की जरूरत जताई।

सरकार ही जिम्मेदार— 3 साल पहले कोर्ट ने चेताया था ….
क्रेडाई ने इन हालातों के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया। क्रेडाई राजस्थान के चेयरमेन गोपाल गुप्ता ने बताया कि करीब 3 वर्ष पहले ही कोर्ट ने सरकार को पर्यावरणीय एनओसी देने के लिए चेताया था, लेकिन सरकार ने दायित्व पूरा नहीं किया। इस कारण ऐसे हालात देखने को पड़ रहे हैं।

मध्यप्रदेश है नजीर, नीति अपनाने की जरूरत…
—क्रेडाई अध्यक्ष अनुराग शर्मा ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए राजस्थान में भी छोटे लीजधारक बनाने होंगे। अभी 80 ही लीज धारक हैं।
—स्थानीय लोगों और छोटे किसान—कातश्कारों को लीज अधिकार मिलेंगे तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
—स्थानीय इलाके का विकास होगा और जीवन स्तर भी सुधरेगा।
—मध्यप्रदेश सरकार ने भी ऐसी ही व्यवस्था कर रखी है। वहां पंचायत स्तर पर खनन के अधिकार दिए गए हैं।

बैंक लोन चुकाना हो रहा मुश्किल…
क्रेडाई के ज्वाइंट सेकेट्री हितेश धानुका ने स्पष्ट कर दिया कि रियल एस्टेट कारोबारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रोजेक्ट के लिए जो बैंकों से लोन लिया है, उसकी किश्त चुकाना मुश्किल हो गया है। काम नहीं होने से बैंक भी बाकी की लोन राशि नहीं दे पा रहा है। इससे आशियाने की बुकिंग कराने वालों को भी समय पर पेजेशन नहीं दिया जा सकेगा।

आरबीआई की तरह 50 लाख रुपए तक आवास हो अफोर्डेबल हाउसिंग में..
रिजर्व बैंक ने 50 लाख रुपए तक के घर को अफोर्डेबल हाउसिंग में माना है। क्रेडाई ने राजस्थान सरकार से भी पचास लाख रुपए तक के आवास को अफोर्डेबल आवास की श्रेणी का दर्जा देने की मांग की है। जब यह अफोर्डेबल आवास श्रेणी में होता तो स्टॉम्प ड्यूटी भी 2 प्रतिशत व रजिस्ट्रेशन शुल्क अधिकतम 10 हजार रुपए करने की जरूरत मानी। इससे प्रदेश के जरूरतमंद लोगों को आसानी से आशियाना उपलब्ध होगा।
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