ज्योतिषाचार्य पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि चंद्रोदय व्यापनी तिथि में यह व्रत किया जाता है। इस बार वैशाख कृष्ण पक्ष की तृतीया का समाप्ति समय रात 9:32 है। इसी समय के आसपास चंद्रोदय होने के कारण प्रदेश के दो भागों में सुहागिनों द्वारा यह व्रत रखा जाएगा। वहीं जयपुर में आज चंद्रोदय 9:28 पर और शनिवार को चंद्रोदय रात 10:34 बजे पर होगा।
इस व्रत में भक्तगण भगवान गणेश से अपने बुरे समय, सेहत की समस्या और कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा इस दिन व्रत रखने वाले मनुष्य को बुध दोष के बुरे प्रभावों को भी नहीं झेलना पड़ता हैं। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के व्रत को करने से विद्या, बुद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणपति से मनचाहे फल की कामना की जाती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का बेहद महत्व होता है। इस व्रत को चंद्र दर्शन के साथ पूर्ण करना अत्यंत शुभ होता है। इसके बाद ही व्रत पूरा माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन ( Sankashti Chaturthi puja vidhi ) सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। अगर वस्त्र लाल रंग के हों तो अति उत्तम होगा। इसके बाद भगवान गणेश को जल चढ़ाएं और साफ वस्त्र धारण कराएं। इसके बाद उनकी धूप-दीप जला कर पूजा करें। ध्यान रखें पूजा के वक्त आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिश की ओर हो। गणपति को मोदक अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए संभव हो तो उन्हीं का भोग लगाएं। इसके बाद शाम को संकष्टी गणेश चतुर्थी की संबंधित कथा पढ़ें, सुनें या दूसरों को सुनाएं और फिर लम्बोदर की आरती करें। भगवान को प्रणाम करके मोदक का प्रसाद ग्रहण करें और चंद्रमा की जल चढ़ा कर पूजा करें इसके बाद सात्विक भोजन करें।