जयपुर

Sankashti Chaturthi 2020: संकष्टी चतुर्दशी पश्चिमी राजस्थान में आज, जयपुर में कल व्रत रखेंगी महिलाएं

Sankashti Chaturthi 2020: वैशाख कृष्ण पक्ष की तृतीया पर शुक्रवार यानि आज प्रदेश के पश्चिमी भाग में महिलाएं व्रत रखेंगे। वहीं जयपुर सहित पूर्वी राजस्थान में शनिवार को संकष्टी चतुर्थी ( Sankashti Chaturthi vrat ) का व्रत होगा। इस मौके पर महिलाएं सुहाग की दीर्घायु के लिए चौथ माता और भगवान गणेश की कथा सुनकर पूजा-अर्चना करेंगी। फिर चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद व्रत खोलेंगी…

जयपुरApr 10, 2020 / 08:52 am

dinesh

जयपुर। Sankashti chaturthi 2020: किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। वैशाख कृष्ण पक्ष की तृतीया पर शुक्रवार यानि आज प्रदेश के पश्चिमी भाग में महिलाएं व्रत रखेंगे। वहीं जयपुर सहित पूर्वी राजस्थान में शनिवार को संकष्टी चतुर्थी ( Sankashti Chaturthi vrat ) का व्रत होगा। इस मौके पर महिलाएं पति और संतान की दीर्घायु, सुख समृद्धि की कामना के लिए चौथ माता और भगवान गणेश की कथा सुनकर पूजा-अर्चना करेंगी। फिर चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद व्रत खोलेंगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि चंद्रोदय व्यापनी तिथि में यह व्रत किया जाता है। इस बार वैशाख कृष्ण पक्ष की तृतीया का समाप्ति समय रात 9:32 है। इसी समय के आसपास चंद्रोदय होने के कारण प्रदेश के दो भागों में सुहागिनों द्वारा यह व्रत रखा जाएगा। वहीं जयपुर में आज चंद्रोदय 9:28 पर और शनिवार को चंद्रोदय रात 10:34 बजे पर होगा।
इस व्रत में भक्तगण भगवान गणेश से अपने बुरे समय, सेहत की समस्या और कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा इस दिन व्रत रखने वाले मनुष्य को बुध दोष के बुरे प्रभावों को भी नहीं झेलना पड़ता हैं। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के व्रत को करने से विद्या, बुद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणपति से मनचाहे फल की कामना की जाती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का बेहद महत्‍व होता है। इस व्रत को चंद्र दर्शन के साथ पूर्ण करना अत्‍यंत शुभ होता है। इसके बाद ही व्रत पूरा माना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन ( Sankashti Chaturthi puja vidhi ) सुबह स्‍नान करके साफ वस्‍त्र पहनें। अगर वस्‍त्र लाल रंग के हों तो अति उत्‍तम होगा। इसके बाद भगवान गणेश को जल चढ़ाएं और साफ वस्‍त्र धारण कराएं। इसके बाद उनकी धूप-दीप जला कर पूजा करें। ध्यान रखें पूजा के वक्त आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिश की ओर हो। गणपति को मोदक अत्‍यंत प्रिय हैं, इसलिए संभव हो तो उन्‍हीं का भोग लगाएं। इसके बाद शाम को संकष्टी गणेश चतुर्थी की संबंधित कथा पढ़ें, सुनें या दूसरों को सुनाएं और फिर लम्‍बोदर की आरती करें। भगवान को प्रणाम करके मोदक का प्रसाद ग्रहण करें और चंद्रमा की जल चढ़ा कर पूजा करें इसके बाद सात्‍विक भोजन करें।

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