इसके अलावा मांझे से कटने पर करीब 150 लोगों ने निजी अस्पतालों में उपचार करवाया। पतंगबाजी के शिकार लोगों का अस्पताल में आना अभी एक दिन और जारी रहेगा। ऐसी स्थिति में यह संख्या और भी बढ़ सकती है। पतंगबाजी के त्योहार मकर संक्रांति पर दुर्घटनाग्रस्त होकर अस्पताल आने वालों के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल सहित शहर के कई सरकारी और निजी अस्पतालों ने उपचार की विशेष व्यवस्था की थी। इस त्योहार पर मुख्य रूप से मांझे से कटने वाले, पतंग लूटते समय दुर्घटनाग्रस्त होने वाले तथा पतंग उड़ाते समय छत से गिरने वालों की संख्या बढ़ जाती है। इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। यहां सवाई मानसिंह अस्पताल की ट्रोमा इमरजेंसी में पांच डॉक्टरों की टीम पहले से तैनात थी।
जानकारी के अनुसार सवाई मानसिंह अस्पताल में पतंगबाजी के शिकार 150 लोगों ने अपना उपचार करवाया। इनमें से करीब 30 लोग ऐसे थे, जो पतंगबाजी के दौरान छत से नीचे गिर गए और उनके हाथ पैरों में चोटें आ गई। 50 लोग मांझे की चपेट में आने के कारण यहां अस्पताल में उपचार कराने के लिए आए। इन मरीजों में किसी का हाथ व अंगुलियां कट गई थी तो किया का चेहरा, गला व सिर तेज धार वाले मांझे से चीर गया था। यहां अस्पताल आए 150 लोगों में से दो की मौत हो गई व दस लोगों को भर्ती करके उपचार किया जा रहा है। शेष लोगों को अस्पताल से सामान्य उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
डॉक्टरों का कहना है कि संक्रांति के त्योहार पर दो-तीन दिन अच्छी पतंगबाजी होती है, इसलिए माना जा रहा है कि अभी कुछ दिन और पतंगबाजी के शिकार लोगों का अस्पताल में आना जारी रहेगा।
संक्रांति पर जितने लोग दुर्घटना होकर आते हैं उनमें से 60 से 70 फीसदी बच्चे होते हैं। बीमार होकर अस्पताल पहुंचने वालों में भी बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। यही कारण है कि विशेषज्ञ बच्चों के उपचार के साथ-साथ उनकी देखभाल की बात भी करते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि संक्राति के त्योहार के समय बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं। उसका मुख्य कारण यह रहता है कि बच्चे छत पर पतंगबाजी करते हैं। ऐसे में वे गरम कपड़े नहीं पहनते। अधिकतर परिजन भी इस बात का ध्यान नहीं देते। सुबह और शाम को तेज सर्दी पड़ती है। यही कारण होता है कि बच्चों को पहले सर्दी-जुकाम की शिकायत होती है और बाद में यह तकलीफ और भी ज्यादा बढ़ जाती है।