scriptनौ साल से मंदिर में चल रहा संस्कृत स्कूल, धर्मशाला में रखा रिकॉर्ड | Sanskrit school running in the temple for nine years, records kept in | Patrika News
जयपुर

नौ साल से मंदिर में चल रहा संस्कृत स्कूल, धर्मशाला में रखा रिकॉर्ड

जिले के माधोराजपुरा क्षेत्र का एक संस्कृत विद्यालय अपनी खुद की छत के लिए तरस रहा है। नतीजतन करीब नौ साल से भवन के अभाव में नौहिालों के लिए मंदिर ही विद्यालय बना हुआ है। इससे दर्शनार्थियों के आवागमन के बीच विद्यार्थियों को विद्याध्ययन करना पड़ता

जयपुरNov 17, 2021 / 12:22 am

Gaurav Mayank

नौ साल से मंदिर में चल रहा संस्कृत स्कूल, धर्मशाला में रखा रिकॉर्ड

नौ साल से मंदिर में चल रहा संस्कृत स्कूल, धर्मशाला में रखा रिकॉर्ड

जयपुर। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक ओर सरकार बड़ी धनराशि खर्च कर रही है। वहीं जिले के माधोराजपुरा क्षेत्र का एक संस्कृत विद्यालय अपनी खुद की छत के लिए तरस रहा है। नतीजतन करीब नौ साल से भवन के अभाव में नौहिालों के लिए मंदिर ही विद्यालय बना हुआ है। इससे दर्शनार्थियों के आवागमन के बीच विद्यार्थियों को विद्याध्ययन करना पड़ता है।
मजे की बात ये है कि दो साल से यहां एकमात्र शिक्षक की नियुक्ति चल रही है। यहां कार्यरत शिक्षक के पास बीएलओ की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी है। नवंबर माह में मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम चलने से विद्यालय की छुट्टी भी जल्दी करनी पड़ती है। वहीं विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर का आकलन भी आसानी से किया जा सकता है। मामला है माधोराजपुरा पंचायत समिति की दोसरा ग्राम पंचायत के मंडालिया नवीन स्थित राजकीय संस्कृत प्राथमिक विद्यालय का।
2013 से शुरू हुआ स्कूल
विद्यालय के प्रधानाध्यापक कन्हैयालाल बैरवा के मुताबिक वर्ष 2013 में विद्यालय की शुरुआत हुई थी, लेकिन भवन नहीं होने से ग्रामीणों की सहमति से गांव के तेजाजी, हनुमानजी व शंकर भगवान के मंदिर में कक्षाएं शुरू कर दी गईं। ग्रामीणों को जल्द ही भवन बनने की उम्मीद थी, लेकिन करीब नौ साल बीत जाने के बावजूद भवन के लिए कोई बजट उपलब्ध नहीं हो पाया। नतीजतन नौनिहालों के लिए मंदिर की छत ही आश्रयस्थल बनी है।
44 छात्रों का नामांकन
जानकारी के मुताबिक चालू शैक्षणिक सत्र में विद्यालय की पांचों कक्षाओं में 44 विद्यार्थियों का नामांकन है। पहली में 5, दूसरी में 6, तीसरी में 9, चौथी में 13 तथा पांचवीं कक्षा में 12 बच्चे नामांकित हैं।
रिकॉर्ड धर्मशाला में…
प्रधानाध्यापक ने बताया कि मंदिर में कमरे नहीं होने के कारण विद्यालय का सारा रिकॉर्ड पास ही स्थित धर्मशाला में रखना पड़ता है। ऐसे में सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा होना लाजमी है।
आवंटित हो चुकी जमीन, बजट नहीं
विद्यालय प्रबंधन के मुताबिक करीब दो साल पहले गांव के पास ही आठ बिस्वा भूमि विद्यालय के लिए आवंटित हो चुकी है। नामांतरकरण भी खुल चुका है, लेकिन बजट नहीं होने से भवन निर्माण फिलहाल सपना ही बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रस्ताव लेकर विभाग को भेजा जा चुका है। पंचायत समिति सदस्य कैलाश चौधरी सहित ग्रामीणों ने बताया कि विधायक को भी इस संबंध में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन हालात जस के तस हैं।
हमारे द्वारा मंडालिया नवीन के संस्कृत विद्यालय के मिड-डे-मील का ही प्रबंधन किया जाता है। बाकी सारा मैनेजमेंट संस्कृत शिक्षा विभाग का है।
रमेश चंद कुमावत, पंचायत प्रारम्भिक शिक्षाधिकारी दोसरा

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