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संस्कृत वेद वाणी तथा सभी भारतीय भाषाओं की जननी: कल्ला

locationजयपुरPublished: Aug 12, 2022 08:00:48 pm

Submitted by:

Arvind Palawat

संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ.बी. डी. कल्ला ने कहा कि संस्कृत भाषा वेदवाणी है तथा सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में लिखे गए ग्रंथों पर शोध किया जाना चाहिए जिससे वे जन जन तक पहुंचे तथा आमजन उस ज्ञान को प्राप्त कर लाभान्वित हो सकें।

संस्कृत वेद वाणी तथा सभी भारतीय भाषाओं की जननी: कल्ला

संस्कृत वेद वाणी तथा सभी भारतीय भाषाओं की जननी: कल्ला

जयपुर। संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ.बी. डी. कल्ला ने कहा कि संस्कृत भाषा वेदवाणी है तथा सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में लिखे गए ग्रंथों पर शोध किया जाना चाहिए जिससे वे जन जन तक पहुंचे तथा आमजन उस ज्ञान को प्राप्त कर लाभान्वित हो सकें। डॉ. कल्ला ने शुक्रवार को संस्कृत दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह-2022 में मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा की संस्कृत भाषा दुनिया को बहुत कुछ दे सकती है तथा संस्कृत भाषा के माध्यम से भारत विश्व गुरु कहला सकता है। उन्होंने युवाओं को जोर देकर कहा कि उन्हें संस्कृत भाषा एवं अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए।
डॉ. कल्ला ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना रखने वाली हमारी संस्कृति में पूरा संसार एक कुटुंब की तरह है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के विकास एवं उन्नयन के लिए लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा संस्कृत भाषा के विकास के लिए किए गए कार्यों एवं नवाचारों की जानकारी दी।
इस अवसर पर संस्कृत शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी. के. गोयल ने कहा कि संस्कृत भाषा केवल हिंदुस्तान की ही नहीं बल्कि दुनिया की प्राचीन एवं वैज्ञानिक भाषा है तथा सभी प्राचीन ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है, राज्य में अलग से संस्कृत शिक्षा निदेशालय है तथा जयपुर में वृहत संस्कृत विश्वविद्यालय भी स्थापित है। उन्होंने कहा कि युवाओं में संस्कृत की जानकारी कम होती जा रही है ऐसे में इस बात की आवश्यकता है कि संस्कृत शिक्षा तथा ग्रंथों में लिखे गए ज्ञान को समाज में सामने लाया जाए।
इस अवसर पर अखिल भारतीय श्री निंबार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्याम चरण देवाचार्य श्रीजी महाराज ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत भाषा की संरक्षण रखने की आवश्यकता बढ़ गई है। उन्होंने इस अवसर पर सम्मानित होने वाली विद्वान जनों के बारे में कहा कि इन लोगों ने अपना पूरा जीवन संस्कृत भाषा तथा संस्कृति के संरक्षण में लगाया है।
समारोह में राज्य में संस्कृत शिक्षा के लिए प्रशंसनीय कार्य करने के लिए डॉ. बनवारीलाल गौड़ को ‘संस्कृत साधना शिखर सम्मान’ से सम्मानित कर एक लाख रुपए की नकद राशि एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। समारोह में दो प्रतिष्ठित संस्कृत देवी विद्वानों को संस्कृत साधना सम्मान एवं 6 विद्वानों को संस्कृतविद्वतसम्मान तथा 5 प्रतिभाशाली युवा विद्वानों को संस्कृत युवा प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर संस्कृत शिक्षा के विकास के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले दो भामाशाह हो तथा विभागीय दो कार्मिकों को भी प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया । समारोह में संस्कृत की विभिन्न परीक्षाओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों एवं श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम वाली संस्कृत संस्थाओं को भी सम्मानित किया गया।
इससे पहले संस्कृत शिक्षा के निदेशक डॉ भास्कर शर्मा ‘श्रोत्रिय’ ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर संस्कृत शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी तथा बड़ी संख्या में संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले गणमान्य लोग मौजूद थे।
समारोह में 16 संस्कृत विद्वानों का सम्मान
समारोह में प्रोफेसर बनवारी लाल गौड़ को संस्कृत साधना शिखर सम्मान दिया गया। जबकि तारा शंकर पांडे, रामदेव साहू को संस्कृत साधना सम्मान मिला। इनके साथ ही राजेंद्र प्रसाद शर्मा, पंडित छाजू राम त्रिवेदी, डॉ नमामि शंकर बिस्सा, शारदा जांगिड़, डॉ सीताराम दोतोलिया, उमेश प्रसाद दास को संस्कृत विद्वत सम्मान से नवाजा गया। अन्य विद्वानों को भी सम्मान से नवाजा गया।
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