राजे ने कहा कि जिस राज्य में संतों के निस्वार्थ समाज को आंदोलन करना पड़े, लोकहित में मांगों को मनवाने के लिए अपनी बली देनी पड़े, तो उस राज्य में इससे बड़ी अराजकता कोई और नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि घटना के बाद भी मुख्यमंत्री असहाय होकर खुद स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में अवैध खनन नहीं रुक रहा। इससे स्पष्ट हो है कि संत की मौत का जिम्मेदार राज्य सरकार है।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि राज्य सरकार संतों की आवाज को सुनने में 551 दिन का समय नहीं लगाती और समय रहते ही एक्शन लेती तो आज एक संत की जान नहीं जाती। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने संत समाज की मांग पर 27 जनवरी, 2005 को ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक लगाई थी, लेकिन कांग्रेस सरकार में आस्था से जुड़े ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन फिर से शुरू हो हो गया। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
गौरतलब है कि भरतपुर की पहाड़ियों में अवैध खनन रुकवाने के लिए 20 जुलाई को बाबा विजयदास ने आत्मदाह का प्रयास किया था। जिसमें वे 80 प्रतिशत तक झुलस गए थे। शनिवार तड़के उनका दिल्ली में निधन हो गया।