सराफ ने कहा कि ऐसा ही एक निर्णय सरकार ने महिला प्रसव के लिए 200 बेड एवं 22 बेड की एसएनसीयू सुविधाओं से युक्त जयपुरिया हॉस्पिटल में कोविड 19 मरीजों को रखने का लिया है। कोविड मरीजों को यहां रखने के चिकित्सा विभाग के मूर्खतापूर्ण निर्णय से महिला प्रसव एवं मातृ शिशु चिकित्सा के लिए यहां आने वाले लोग संक्रमण फैलने के डर से शून्य हो गए हैं। महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट को कोविड डेडिकेटेड करने के बाद वहां सामान्य महिला प्रसव नहीं किए जाने के बाद जयपुरिया ही एकमात्र हॉस्पिटल है, जहां महिला चिकित्सा व प्रसव के लिए 200 बेड के साथ 10 सीनियर डॉक्टर्स, 10 रेजिडेंट्स एवं 21 नर्सिंग स्टाफ तथा एसएनसीयू में 22 बेड के साथ 6 डॉक्टर्स, 3 रेजिडेंट्स व 6 नर्सिंग स्टाफ की उच्च स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं और शहर की लगभग 15 लाख आबादी को इन सुविधाओं का लाभ मिल रहा था।
महत्वपूर्ण विषय यह है कि सर्कुलर के अनुसार महिला प्रसव एवं नवजात चिकित्सा स्टाफ को स्थानांतरित किए बिना अपनी सेवाएं देनी हैं, लेकिन सरकार ने अंतर्विरोधी निर्णय लेते हुए जयपुरिया हॉस्पिटल में महिला चिकित्सा सुविधाओं एवं स्टाफ को कोविड 19 मरीजों के इलाज में लगा दिया है, जिससे हजारों महिलाएं प्रसव एवं नवजात चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। सराफ ने मांग की है कि सरकार हठधर्मिता को त्याग कर जयपुरिया हॉस्पिटल को कोविड—19 मरीजों से मुक्त करके वहां दोबारा महिला शिशु चिकित्सा व प्रसव सेवाएं शीघ्र बहाल कराए।