देवनानी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले कई दिनों से शिक्षकों की ड्यूटी ऐसे ऐसे कार्यों मे लगाई जा रही है, जिसका शिक्षकों के मूल कार्यों से दूर-दूर तक का संबंध नहीं है। धौलपुर में मनरेगा श्रमिकों पर निगरानी का काम, बारां के मंगरोल में शादी समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग करवाने का काम, प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी में बाढ़ नियंत्रण कक्ष संभालने का काम, कोटा में श्रमिक स्पेशल ट्रेन में जाने वाले श्रमिकों की निगरानी का काम शिक्षकों के हाथों सौप दिया। ताज्जुब की बात तो यह रही कि करौली में तो क्वारंटीन सेंटरों में ठहरे श्रमिकों व नागरिकों के मनोरंजन और पाली में मृत्यु भोज में निगरानी के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति कर दी।
सोश्यल मीडिया पर बवाल, तब जागते हें मंत्री देवनानी ने कहा कि सोशल मीडिया पर बवाल होता देख शिक्षा मंत्री द्वारा कुछ आदेश निरस्त भी किए गए हैं, लेकिन एक के बाद एक नित नए बेतुक आदेश निकालने की पुनरावृति रोज हो रही है। शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के आदेश निकालने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ शिक्षा मंत्री की उदासीनता शिक्षकों को बेइज्जत करने वाले दोषी अधिकारियों के लिए ढाल का काम करती दिखाई पड़ रही है। कोरोना काल में सिर्फ शिक्षक ही बचा है जिसे हर प्रकार का काम दिया जा रहा है। सरकार में अन्य विभागों के कर्मचारी भी है। शिक्षा मंत्री को चाहिए कि वे अपने विभाग के शिक्षकों के हितों की रक्षा करें।