पंचांग में कुछ मुहुर्तों को शुभ मुहूर्त कहते हैं जिनमें शुरू किए गए कोई भी कार्य शुभ फलदायक होते हैं। इनमें गुरु पुष्य योग, रवि पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, राज योग, सिद्धि योग, पुष्कर योग, द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योग शामिल हैं. इन शुभ योगों में ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी है. गौरतलब है कि इन सभी शुभ मुहूर्तों का निर्धारण तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर किया जाता है। कुछ योग वार और नक्षत्र के तालमेल से बनते हैं। तिथियों का मेल गलत होने पर कई बार शुभ मुहुर्त भी योगकारक नहीं रह पाता है. सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग बनता है वहीं यदि इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो यह योग अशुभ बन जाता है। सोमवार के दिन नवमी अथवा दशमी तिथि होने एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र होने पर सिद्धि नामक शुभ योग बनता है।
इन योगों में सर्वार्थ सिद्धि योग अत्यंत शुभ योग माना जाता है। वार और नक्षत्र के उचित मेल से यह योग ज्यादा फलदायी हो जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, अथवा श्रवण नक्षत्र होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है जबकि द्वितीया और एकादशी तिथि होने पर यह अशुभ मुहूर्त में बदल जाता है। पंडित दीक्षित के अनुसार जब यह योग गुरुवार और शुक्रवार के दिन बनता है तो बहुत शुभ होता है. ऐसी स्थिति में कोई भी तिथि होनेपर भी इसकी शुभता बरकरार रहती है.
किसी भी हालत में योग का शुभ फल नष्ट नहीं होता.
किसी भी हालत में योग का शुभ फल नष्ट नहीं होता.
आज भी गुरुवार के दिन यह योग बना है. खास बात तो यह है कि गुरुवार को दिनभर यह योग बना रहेगा. पंचांगों के अनुसार 27 फरवरी को सूर्योदयकाल से शुरू होकर दिनभर सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. इसलिए कोई भी अहम काम आज बेहिचक शुरू कर सकते हैं, परिणाम शुभ ही होगा. मकान खरीदने, जमीन—मकान की रजिस्ट्री करने, मकान किराये पर देने, आपिफस—दुकान का शुभारंभ करने, वाहन खरीदने आदि काम आज शुभ साबित होंगे. इसके साथ ही सगाई, रोका या टीका करने के काम भी इस मुहूर्त में किए जा सकते हैं। हालांकि इस मुहूर्त में विवाह करना ठीक नहीं माना जाता है।