इसी को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने मदतान बूथों की संख्या में इजाफा कर सकती है, जिसके गठन का काम अगले महीने सितंबर से तेज हो जाएगा। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में जहां कुल मतदान केंद्रों की संख्या 45 हजार 354 थी, उसे पिछले साल बढ़ाकर 49 हजार कर दी गई थी। जिसके बाद अब प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या सितंबर महीने में 55 हजार का आंकड़ा पार कर सकती है।
वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, नए मतदान केंद्रों को लेकर आयोग नए भवनों की तलाश तेजी से कर रही है। भारत निर्वाचन आयोग के नियम के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में एक भवन में ज्यादा से ज्यादा 4 मतदान केंद्र और ग्रामीण इलाकों में अधिक से अधिक 3 मतदान केंद्र बनाए जा सकते हैं। ऐसे में कुछ मतदान केंद्रों के लिए पुराने भवनों को चुना गया है, जबकि बाकी के लिए नए भवनों की तलाश की जा रही है। जहां जन सुविधाओं को भी प्रमुखता से देखा जा रहा है।
आपको बता दें कि शहरी क्षेत्र में एक मतदान केंद्र पर ज्यादा से ज्यादा 1400 मतदाताओं की संख्या हो सकती है, तो वहीं ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं की संख्या 1200 निर्धारित है। हबावजूद इसके कई बार चुनाव आयोग को दूरी के हिसाब से 300 से 400 मतदाताओं की संख्या पर नया मतदान केंद्र बनाना पड़ जाता है।
गौरतलब है कि एक नया मतदान केंद्र बनाने के लिए निर्वाचन आयोग को काफी रुपए खर्च करने पड़ जाते हैं। जहां नए बूथ के साथ वहां अधिकारियों की नियुक्ति के लिए उन्हें अतिरिक्त रुपए देने पड़ते हैं। तो वहीं चुनाव के दौरान पुलिस और मतदाताओं की सुविधा के अलावे पोलिंग पार्टी को लेकर हजारों रुपए खर्च भी करने पड़ते हैं।