उन्होंने कहा कि यह बजट राजस्थान की जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। मुख्यमंत्री गहलोत बजट पेश करने के दौरान बार-बार कोरोना कालखण्ड का हवाला देते रहे, लेकिन कोरोना महामारी से तो पूरा देश एवं दुनिया प्रभावित हुआ, जिससे राजस्थान भी अछूता नहीं था। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने नया क्या किया, इसके बारे में मुख्यमंत्री कुछ नहीं बता पाए, केवल नेहरू, इन्दिरा और राजीव के नाम पर टाइटल रखने के अलावा कुछ नहीं किया।
पूनिया ने कहा कि राजस्थान की जनता कोरोना के बाद जिस तरीके की इच्छाशक्ति के बजट की उम्मीद रखती थी, वो पूरी नहीं हुई। अवैध बजरी खनन को रोकने के लिए कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया, बंद की गई बिजली सब्सिडी को शुरू करने के बारे में कोई बात नहीं की गई, सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं किया, पिछले बजट की घोषणाओं में से लगभग 78 घोषणाएं अभी तक कागजों में ही हैं, बजट का कोई रोडमैप नहीं है, कोई ब्लू प्रिंट नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस बजट के माध्यम से स्वयं की राजनीतिक तौर पर फेस सेविंग की कोशिश की है।