‘उपदेश देते-देते खुद को मिली सज़ा’ पूनिया ने कहा कि कोरोना से बचने के लिए लोगों को उपदेश देते-देते खुद को लापरवाही की सज़ा मिल गई। उन्होंने माना कि राजनीति में होने के कारण कुछ मौके ऐसे रहे जहां सावधानियां वे नहीं रख पाए। इसका खामियाजा भुगतना पडा।
‘दिनचर्या में किया बदलाव’ कोरोना संक्रमण को मात देने के लिए चिकित्सकों की सलाह पर दिनचर्या में बदलाव किया था। सुबह उठते ही गरम नीम्बू पानी, लगभग आधे से एक घंटे तक योग और ध्यान जिसमें कपाल भारती व अनुलोम विलोम जैसी योग क्रियाएं शामिल रहीं।
’70 के दशक के सुने संगीत’ पूनिया ने बताया कि आइसोलेशन के दौरान उन्होंने संगीत सुनने के लिए अलग से समय निकाला। 70 के दशक के पसंदीदा फ़िल्मी गाने सुने तो वहीं ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह की प्रस्तुतियों को भी सुना। इनके अलावा हनुमान चालीसा भी सुनीं। शाम को टहलने के दौरान इंस्ट्रूमेंटल संगीत सुना। इस तरह के संगीत से ऊर्जा महसूस हुई।
‘कभी नहीं लगा मैं अलग हूँ’ पूनिया ने बताया कि वे स्वास्थ्य लाभ लेने के दौरान पार्टी गतिविधियों से लगातार वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। इससे उन्हें संक्रमण के कारण अलग होने का अहसास कभी नहीं हुआ।
‘फोन कंट्रोल रुम रहा डाइवर्ट’ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि संक्रमित होने की खबर के बाद से नेताओं-कार्यकर्ताओं-शुभचिंतकों के ढेरों फोन आये। लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए और चिकित्सकों की सलाह पर कम ही फोन अटेंड किये। फोन को पार्टी कंट्रोल रुम डाइवर्ट किया गया था जहां से लगातार वे अपडेट रहे।
‘आराध्यों के करेंगे दर्शन’ एक सवाल के जवाब में डॉ पूनिया ने कहा कि होम आइसोलेशन ख़त्म होने के बाद वे सबसे पहले अराध्य गोविन्द देवजी के दर्शन करेंगे। इसके बाद आमेर स्थित शीला माता मंदिर के दर्शन करेंगे। इन दोनों धार्मिक स्थलों को उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर महत्वपूर्ण बताया। पूनिया ने कहा आराध्यों के दर्शन के बाद वे तीसरे मंदिर के तौर पर पार्टी मुख्यालय जायेंगे।
‘सैम्पल देने के बाद किया हनुमान जी का स्मरण’ पूनिया ने बताया कि जोधपुर दौरे से जयपुर लौटने के बाद अस्वस्थता महसूस हुई। इसपर कोविड-19 जांच के लिए सैम्पल दिया था। रिपोर्ट आने से पहले हनुमान जी का स्मरण कर रिपोर्ट नेगेटिव निकलने की कामना की। लेकिन बाद में जांच में पॉजिटिव ही निकले। रिपोर्ट स्तब्ध करने वाली थी।
‘हर व्यक्ति डॉक्टर है’ अनुभव साझा करते हुए उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में कहा कि देश का हर व्यक्ति डॉक्टर है। संक्रमित होने के फ़ौरन बाद उन्हें भी अनगिनत सलाह सुनने से गुज़रना पडा। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचाव का लब्बोलुआब ‘एसएमएस’ ही है, यानी सोशल डिसटेंसिंग, मास्क और सेनेटाईजर है।
‘आत्मचिंतन का मौक़ा मिला’ पूनिया ने बताया कि रानजीतिक जीवन में आने के बाद से व्यस्तता बनी हुई रही। ऐसे में 14 दिन का होम आइसोलेशन किसी चुनौती से कम नहीं रहा। पर इस दौरान आत्मचिंतन का अवसर प्राप्त हुआ।
गौरतलब है कि डॉ सतीश पूनिया बीते 4 सितम्बर को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिये ही दी थी। ट्वीट करते हुए उन्होंने बताया था कि कुछ क्षेत्रों का दौरा करने के बाद जयपुर लौटने पर जब उन्होंने एहतियातन कोविड-19 टेस्ट करवाया तब वे संक्रमित पाए गए। चिकित्सकों की सलाह पर वे तब से होम आइसोलेट चल रहे हैं।