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सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग पूजा करने पर मिलती है कष्टों से मुक्ति

locationजयपुरPublished: Jul 19, 2020 11:56:24 pm

Submitted by:

Devendra Singh

parthiv shivling pooja : सावन मास को शिवजी का प्रिय मास माना जाता है। सावन में पार्थिव बनाकर शिव का पूजन करने का विशेष महत्व है। कलयुग में कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप में पार्षद पूजन प्रारंभ किया था। शिव महापुराण के मुताबिक पार्थिव शिव पूजन में धन धन आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति के योग होते हैं। इतना ही नहीं मानसिक शांति के साथ शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।

 पार्थिव शिवलिंग

पार्थिव शिवलिंग

जयपुर। सावन मास को शिवजी का प्रिय मास माना जाता है। सावन में पार्थिव बनाकर शिव का पूजन करने का विशेष महत्व है। कलयुग में कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप में पार्षद पूजन प्रारंभ किया था। शिव महापुराण के मुताबिक पार्थिव शिव पूजन में धन धन आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति के योग होते हैं। इतना ही नहीं मानसिक शांति के साथ शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। श्री साकेत पंचांग कर्ता ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने बताया कि पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला। यह सभी जानते हैं कि शिव कल्याणकारी हैं। शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। यदि प्रति दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक तथा परलोक में भी अखंड शिव भक्ति मिलती है। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अभिषेक कर विसर्जन करने से कुंडली के काल सर्प योग से छुटकारा मिल जाता है।
तालाब या नदी की मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर पार्थिव शिवलिंग बनाएं। जहां तक हो पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए। शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं हो। इससे अधिक ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य नहीं मिलता है। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग को स्पर्श किया प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
पार्थिव के समक्ष समस्त शिव मंत्रों का जप किया जा सकता है। रोग से पीड़ित लोग महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। दुर्गासप्तशती के मंत्रों का जप भी किया जा सकता है। पार्थिव के विधि वत पूजन के बाद उनको श्री राम कथा भी सुनाकर प्रसन्न कर सकते हैं।
शास्त्री के अनुसार अनेक प्रकार की कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव का अनेक प्रकार की औषधि वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। संतान प्राप्ति के लिए दूध, स्नेह के लिए दही, मैत्री दांपत्य सुख के लिए गोघृत (गाय का घी), शहद, व्यापार वृद्धि गन्ने का रस, मधुर संबंधों के लिए मधु शहद, धन प्राप्ति के लिए गन्ने का रस, शत्रु भय निवृत्ति के लिए सरसों के तेल, रोग नाश के लिए गिलोय रस, मानसिक शांति, क्रोध शांति के लिए कुशोदक, चंदन से अभिषेक करने पर कामनाओं की पूर्ति होती है।
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