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सावन में शनि प्रदोष का संयोग, महादेव की पूजा से मिलेगी शनि दोषों से मुक्ति

locationजयपुरPublished: Jul 16, 2020 11:22:17 pm

Submitted by:

Devendra Singh

shani pradosh 2020: भगवान शिव की पूजा शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली होती है और जब भगवान शिव की सबसे प्रिय तिथि प्रदोष (त्रयोदशी) शनिवार को आ जाए तो यह दिन और भी विशेष हो जाता है। इसमें भी यदि पवित्र श्रावण माह का संयोग बन जाए तो फिर सोने पे सुहागा जैसी स्थिति हो जाती है। माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

शनि प्रदोष

शनि प्रदोष

जयपुर। भगवान शिव की पूजा शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली होती है और जब भगवान शिव की सबसे प्रिय तिथि प्रदोष (त्रयोदशी) शनिवार को आ जाए तो यह दिन और भी विशेष हो जाता है। इसमें भी यदि पवित्र श्रावण माह का संयोग बन जाए तो फिर सोने पे सुहागा जैसी स्थिति हो जाती है। माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। इस बार वर्ष 2020 के श्रावण माह के दोनों प्रदोष के दिन शनिवार का संयोग बन रहा है। इससे पहले यह संयोग 2010 में 7 व 21 अगस्त में आया था। अब दूबारा 2027 में 31 जुलाई व 14 अगस्त को यह संयोग फिर से बनेगा। प्रदोष शनिवार को आने से विशेष हो गया।

शिव दूर करेंगे शनि से जुड़े दोष
अनेकों वर्षों में ऐसा संयोग आता है जब श्रावण माह, प्रदोष तिथि और शनिवार का संयोग बने और वह भी एक ही माह में दो बार। इस बार यह विशेष संयोग बन रहा है। यदि आप भी किसी न किसी रूप में शनि की पीड़ा भोग रहे हैं या आपकी जन्मकुंडली में शनि खराब स्थिति में है। शनि की महादशा, अंतर्दशा, शनि की साढ़े साती या शनि का लघु कल्याणी ढैया चल रहा है तो 18 जुलाई और 1 अगस्त को आ रहा शनि प्रदोष व्रत ( shani pradosh vrat ) रखने और भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से शनि की पीड़ा से राहत मिलेगी। प्रदोष का व्रत रखने के साथ ही शिवजी का मूल मंत्र ऊॅ नम: शिवाय व माहमृत्युंजय माहमंत्र का जाप करने से शिवजी प्रसन्न होकर कृपा करते है।
श्रावण में आने वाले पर्व
16 जुलाई कामदा एकादशी, 18 जुलाई शनि प्रदोष, 20 जुलाई सोमवती हरियाली अमावस्या, 23 जुलाई हरियाली तीज, 25 जुलाई नागपंचमी, 30 जुलाई पवित्र एकादशी, एक अगस्त शनि प्रदोष 3 अगस्त सोमवती पूर्णिमा, रक्षा बंधन श्रावणी उपक्रम।
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