जयपुरPublished: Apr 03, 2020 06:56:47 pm
Mukesh Sharma
(Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को(GOI) केन्द्र सरकार और (ICMR) इंडियन कौंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च से जवाब मांगा है जवाब मांगा है कि क्यों ना (COVID 19) कोरोना वायरस के (Testing) टैस्ट के लिए (Pvt Lab & Hospitals) निजी लैब और अस्पतालों के लिए 4500 रुपए फिक्स करने वाली 17 मार्च को (Advisory) एडवाईजरी को (Quash) निरस्त कर दिया जाए।
क्यों ना कोरोना टैस्ट के 4500 रुपए तय करने वाली एडवाईजरी को निरस्त कर दें,सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
जयपुर
(Supreme Court) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को(GOI) केन्द्र सरकार और (ICMR) इंडियन कौंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च से जवाब मांगा है जवाब मांगा है कि क्यों ना (COVID 19) कोरोना वायरस के (Testing) टैस्ट के लिए (Pvt Lab & Hospitals) निजी लैब और अस्पतालों के लिए 4500 रुपए फिक्स करने वाली 17 मार्च को (Advisory) एडवाईजरी को (Quash) निरस्त कर दिया जाए। जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की बैंच ने याचिकाकर्ता को याचिका की एक कॉपी ईमेल के जरिए सॉलिसिटर जनरल को देने के निर्देश देते हुए सुनवाई अगले सप्ताह तय की है।
याचिकाकर्ता शशांक देव सुधी का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु दर और मरीजों की संख्या में बढोतरी को देखते हुए टैस्टिंग सुविधाओं में तेजी से बढोतरी करने की आवश्यकता है। ऐसे में इंडियन कौंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च की 17 मार्च,2020 की एडवाईजरी से निजी लैब और अस्पतालों में टैस्टिंग की कीमत 4500 रुपए तय करना असंगत,भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 21 और 14 के विपरीत है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि लॉकडाउन के कारण आम नागरिक पर पहले ही आर्थिक भार ज्यादा है ऐसे में सरकार का यह निर्णय बेहद असंवेदनशील है। मेडिकल कौंसिल की 17 मार्च की एडवाईजरी से निजी लैब और अस्पतालों में कोरोना टैस्ट की कीमत 4500 रुपए तय करना आम नागरिक को जीवन जीने के संविधानिक अधिकार से वंचित करना है। याचिका में 17 मार्च की एडवाईजरी को संविधान के विपरीत घोषित करते हुए निरस्त करने की गुहार की है।