इतने रुपयों में दो वक्त का खाना भी मुश्किल
हालांकि प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का मानना है कि खेलों से ही स्वस्थ तन और स्वस्थ मन का विकास होता है। इससे विद्यार्थी पढ़ाई में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं। लेकिन इसके बावजूद जो भत्ता दिया जाता है, उससे आज की महंगाई के दौर में दो वक्त का खाना भी मुश्किल हो पाता है।
इनका कहना है: ‘एक प्लेयर की डाइट में कई चीजें महत्वपूर्ण होती है। एक प्लेयर को दिन में दो समय का खाना और एक टाइम नाश्ता जरूरी होता है। इसके साथ ही हर मैच के बाद रिकवरी के लिए ज्यूस, फ्रूट, दूध आदि की सख्त आवश्यकता होती है। वहीं, टीम कम से कम दो मैच एक दिन में खेलती है। यह भत्ता नाकाफी है। हालांकि इसमें कुछ बढ़ोतरी अभी हुई है, लेकिन उसे और ज्यादा बढ़ाया जाना चाहिए था।’
दानवीर सिंह भाटी, पूर्व कप्तान, राजस्थान टीम बास्केटबॉल
‘शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल लेवल खिलाड़ियों को बहुत कम दैनिक भत्ता मिलता है। जितने का दैनिक भत्ता मिलता है, उतने में डाइट तो क्या खिलाड़ी ज्यूस और दूध ही पी जाते है। शिक्षा विभाग को सोचना चाहिए कि जब खिलाडि़यों को वे सुविधाएं नहीं देंगे तो उनसे बैटर परफॉर्मेंस की उम्मीद कैसे कर सकते है।’
योगेश, इंटनरनेशनल बास्केटबॉल प्लेयर