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Chhattisgarh : School in Naxal Affected Open Again After 13-yrs of Naxal-Attack

locationजयपुरPublished: Jul 18, 2019 11:42:28 pm

Submitted by:

Nitin Sharma

School Open Again : हौसले को सलाम : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सल (Naxal) प्रभावित जगरगुंडा (Jagargunda) कस्बे का स्कूल (school) 13 साल (13-yrs) बाद फिर से खुला.

school open again

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रायपुर। अगर 13 सालों (13-yrs) तक किसी खौफ में कोई स्कूल (school) बंद रहे तो सोचिए उस इलाके के लोगों पर क्या गुजरी होगी? छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल (Naxal) प्रभावित इलाके सुकमा (sukma) जिले के जगरगुंडा (Jagargunda) में प्रशासन ने लंबे अंतराल से बंद पड़े स्कूल को फिर से शुरू किया है। घना जंगल, लेकिन पक्की सड़क, थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सुरक्षा बलों की चाक-चौबंद टोली गश्त पर। यह रास्ता सुकमा जिले के जगरगुंडा ले जाता है। रास्ते में जलाए गए वाहन, धमाके में उड़ाए गए पुल-पुलिया। नक्सली हिंसा के और भी कई निशान दिखाई देते हैं। इस सन्नाटे में स्कूल की घंटी 13 साल बाद बजी है। 13 साल बाद अच्छे भविष्य के लिए छात्र प्रार्थना कर रहे हैं।सलवा जुडूम के शुरू होने के साथ आस-पास के इलाकों के बच्चों के भविष्य के रास्ते बंद हो गए थे। नक्सलियों (naxals) का खौफ ऐसा कि जगरगुंडा (Jagargunda) के स्कूल, आंगनबाड़ी, राशन की दुकानें सब कुछ 70 किलोमीटर दूर दोरनापाल में शिफ्ट करना पड़ा। सुकमा के कलेक्टर चंदन कुमार कहते हैं कि जगरगुंडा का स्कूल आश्रम सन 2006 के बाद से संचालित नहीं हो पा रहा था, क्योंकि वहां नक्सलवाद की काफी ज्यादा समस्या थी। वहां सलवा जुडूम के बाद सभी लोगों और संस्थाओं को रोड के किनारे लाना था। जो बच गए थे, वे कैंप में रह रहे थे। वहां के लोगों को बहुत परेशानी हो रही थी, इसलिए शासन ने निर्णय लिया कि स्कूल वहां वापस जाएंगे।
70 किमी दूर हो गई पढ़ाई

सन 2005 के बाद से ही जगरगुंडा (Jagargunda) में लोग अलग-अलग वजहों से पलायन करने लगे थे। किसी को नक्सलियों (naxals) का डर तो किसी को पुलिस का खौफ। प्राइमरी और मिडिल स्कूल जैसे-तैसे चलता रहा, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी की कक्षाएं बंद हो गईं। बच्चों को पढ़ाई के लिए दोरनापाल की 70 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। जंगल, बारिश में रास्तों का बंद होना और मुसीबतों से दो-चार होना बच्चों के लिए रोज की कहानी थी। अब यहां हायर सेकेंडरी स्कूल फिर से शुरू हो गया है। गणित, विज्ञान और कला जैसे विषय पढ़कर बच्चे नए सपने संजोने में लग गए हैं। यहां पढ़ रहे छात्र आकाश बताते हैं कि दोरनापाल जाते समय कीचड़ में फंस जाते थे। टीचर पूछते थे, इतने लेट क्यों हो गए? विज्ञान छूट जाता था, दिमाग में नहीं घुसता था। अब विज्ञान, संस्कृत, अंग्रेजी सब पढ़ूंगा और इंजीनियर बनूंगा।
कई इंतजाम अभी बाकी

स्कूल फिर से शुरू तो हो गया, लेकिन कई इंतजाम बाकी हैं। हायर सेकेंडरी स्कूल के साथ ही 200 बच्चों के होस्टल के आदेश भी हुए, लेकिन अभी इसके साथ शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था होना बाकी है। 50 छात्र हैं, जिन पर 19 शिक्षक। हालांकि स्कूल (school) में कमरों की कमी है। यहां पदस्थ व्याख्याता सोमरू राम उचाकी कहते हैं कि यहां हायर सेकेंडरी है। दो संकाय संचालित हैं। हर संकाय के लिए 6-6 क्लासों की आवश्यकता है। दोनों मिलाकर 12 क्लासें लगेंगी। इसके हिसाब से व्यवस्था नहीं है। प्रशासन कह रहा है आश्रम भी यहीं से संचालित करो। यह संभव नहीं हो रहा है। बिजली (electricity) के लिए उद्घाटन से पहले बहुत जोश दिख रहा था, लेकिन अभी तक आई नहीं है।
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