70 किमी दूर हो गई पढ़ाई सन 2005 के बाद से ही जगरगुंडा (Jagargunda) में लोग अलग-अलग वजहों से पलायन करने लगे थे। किसी को नक्सलियों (naxals) का डर तो किसी को पुलिस का खौफ। प्राइमरी और मिडिल स्कूल जैसे-तैसे चलता रहा, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी की कक्षाएं बंद हो गईं। बच्चों को पढ़ाई के लिए दोरनापाल की 70 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। जंगल, बारिश में रास्तों का बंद होना और मुसीबतों से दो-चार होना बच्चों के लिए रोज की कहानी थी। अब यहां हायर सेकेंडरी स्कूल फिर से शुरू हो गया है। गणित, विज्ञान और कला जैसे विषय पढ़कर बच्चे नए सपने संजोने में लग गए हैं। यहां पढ़ रहे छात्र आकाश बताते हैं कि दोरनापाल जाते समय कीचड़ में फंस जाते थे। टीचर पूछते थे, इतने लेट क्यों हो गए? विज्ञान छूट जाता था, दिमाग में नहीं घुसता था। अब विज्ञान, संस्कृत, अंग्रेजी सब पढ़ूंगा और इंजीनियर बनूंगा।
कई इंतजाम अभी बाकी स्कूल फिर से शुरू तो हो गया, लेकिन कई इंतजाम बाकी हैं। हायर सेकेंडरी स्कूल के साथ ही 200 बच्चों के होस्टल के आदेश भी हुए, लेकिन अभी इसके साथ शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था होना बाकी है। 50 छात्र हैं, जिन पर 19 शिक्षक। हालांकि स्कूल (school) में कमरों की कमी है। यहां पदस्थ व्याख्याता सोमरू राम उचाकी कहते हैं कि यहां हायर सेकेंडरी है। दो संकाय संचालित हैं। हर संकाय के लिए 6-6 क्लासों की आवश्यकता है। दोनों मिलाकर 12 क्लासें लगेंगी। इसके हिसाब से व्यवस्था नहीं है। प्रशासन कह रहा है आश्रम भी यहीं से संचालित करो। यह संभव नहीं हो रहा है। बिजली (electricity) के लिए उद्घाटन से पहले बहुत जोश दिख रहा था, लेकिन अभी तक आई नहीं है।