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ग्रामीणों की शिकायत पर पत्रिका टीम ने बस्सी तहसील की ग्राम पंचायत कचौलिया के डेडपुरा गांव में वर्ष 1989 से संचालित राजकीय प्राथमिक विधालय की हकीकत जानी तो स्थिति बेहद खराब मिली। यूं तो विधालय भवन में दो बड़े कमरे हैं लेकिन उच्चाधिकारियों के आदेश पर भवन की कमी होने के बावजूद वर्ष 2008 में आंगनबाड़ी केन्द्र को दे दिया गया। इसके बाद से एक कमरे में प्राथमिक स्कूल और दूसरे कमरे में आंगनबाड़ी केन्द्र चल रहा है। हालांकि आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए डेडपुरा गांव के बस स्टैण्ड के निकट आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण करवा दिया गया है लेकिन यह उसमें शिफ्ट नहीं किया गया है।
ग्रामीणों की शिकायत पर पत्रिका टीम ने बस्सी तहसील की ग्राम पंचायत कचौलिया के डेडपुरा गांव में वर्ष 1989 से संचालित राजकीय प्राथमिक विधालय की हकीकत जानी तो स्थिति बेहद खराब मिली। यूं तो विधालय भवन में दो बड़े कमरे हैं लेकिन उच्चाधिकारियों के आदेश पर भवन की कमी होने के बावजूद वर्ष 2008 में आंगनबाड़ी केन्द्र को दे दिया गया। इसके बाद से एक कमरे में प्राथमिक स्कूल और दूसरे कमरे में आंगनबाड़ी केन्द्र चल रहा है। हालांकि आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए डेडपुरा गांव के बस स्टैण्ड के निकट आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण करवा दिया गया है लेकिन यह उसमें शिफ्ट नहीं किया गया है।
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समस्याएं अपार
विधालय भवन की कमी है। इससे एक ही कमरे में चारों कक्षाएं चलानी पड़ती है। इसी में पोषाहार का सामान, ऑफिस का सामान समेत अन्य सामान रखे हुए हैं। बारिश में तो इस कमरे की छत से पानी टपकने के कारण पास में बने ठाकुरजी के मंदिर में स्कूल चलानी पड़ती है। चारदीवारी नहीं है। हैण्डपम्प है, लेकिन जलस्तर नीचे जाने से देर तक हैण्डपम्प चलाने पर पानी आता है, वो भी गंदला। बच्चों से हैण्डम्प चलता नहीं है।
समस्याएं अपार
विधालय भवन की कमी है। इससे एक ही कमरे में चारों कक्षाएं चलानी पड़ती है। इसी में पोषाहार का सामान, ऑफिस का सामान समेत अन्य सामान रखे हुए हैं। बारिश में तो इस कमरे की छत से पानी टपकने के कारण पास में बने ठाकुरजी के मंदिर में स्कूल चलानी पड़ती है। चारदीवारी नहीं है। हैण्डपम्प है, लेकिन जलस्तर नीचे जाने से देर तक हैण्डपम्प चलाने पर पानी आता है, वो भी गंदला। बच्चों से हैण्डम्प चलता नहीं है।
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आंगनबाड़ी की स्थिति
इस स्कूल के एक कमरे में चल रही आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यकर्ता व सहयोगिनी नहीं मिली। सहायिका मनीषा शर्मा ने बताया कि कार्यकर्ता चंदा शर्मा सांभरिया में बैठक में हिस्सा लेने गई हैं और सहयोगिनी गुलाब देवी देरी से पहुंची। उसने बताया कि वह किसी प्रसूता को लेकर अस्पताल गई थी। बच्चे भी 19 बताए गए, लेकिन मौके पर 13 मिले। आंगनबाड़ी सहायिका ने बताया कि नया भवन स्कूल से करीब दो किलोमीटर दूर है। इसलिए बच्चे जा नहीं सकते हैं।
आंगनबाड़ी की स्थिति
इस स्कूल के एक कमरे में चल रही आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यकर्ता व सहयोगिनी नहीं मिली। सहायिका मनीषा शर्मा ने बताया कि कार्यकर्ता चंदा शर्मा सांभरिया में बैठक में हिस्सा लेने गई हैं और सहयोगिनी गुलाब देवी देरी से पहुंची। उसने बताया कि वह किसी प्रसूता को लेकर अस्पताल गई थी। बच्चे भी 19 बताए गए, लेकिन मौके पर 13 मिले। आंगनबाड़ी सहायिका ने बताया कि नया भवन स्कूल से करीब दो किलोमीटर दूर है। इसलिए बच्चे जा नहीं सकते हैं।
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चौथी कक्षा में बच्चे नहीं
राजकीय प्राथमिक विधालय का कुल नामांकन 25 है। इनमें प्रथम कक्षा में 8, दूसरी में 7, तीसरी में 8 व पांचवीं कक्षा में मात्र दो बच्चे हैं। खास बात ये है कि कक्षा चौथी में एक भी बच्चा नहीं है। बच्चों की कमी का कारण प्रधानाध्यापिका मधु जैन व अन्य अध्यापिका सीमा गर्ग ने भवन की कमी बताया। ग्रामीण मीठालाल मीना व क्राइम कंट्रोल संगठन के पदाधिकारी रामनारायण मीना समेत अन्य मौजूद ग्रामीण भी इससे सहमत हैं। गम्भीर बात ये है कि सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भवन निर्माण के नाम पर अरबों रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन 28 साल बाद भी इसे पर्याप्त भवन नसीब नहीं हो पाया।
चौथी कक्षा में बच्चे नहीं
राजकीय प्राथमिक विधालय का कुल नामांकन 25 है। इनमें प्रथम कक्षा में 8, दूसरी में 7, तीसरी में 8 व पांचवीं कक्षा में मात्र दो बच्चे हैं। खास बात ये है कि कक्षा चौथी में एक भी बच्चा नहीं है। बच्चों की कमी का कारण प्रधानाध्यापिका मधु जैन व अन्य अध्यापिका सीमा गर्ग ने भवन की कमी बताया। ग्रामीण मीठालाल मीना व क्राइम कंट्रोल संगठन के पदाधिकारी रामनारायण मीना समेत अन्य मौजूद ग्रामीण भी इससे सहमत हैं। गम्भीर बात ये है कि सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भवन निर्माण के नाम पर अरबों रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन 28 साल बाद भी इसे पर्याप्त भवन नसीब नहीं हो पाया।
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पूरा चार्ज ही नहीं दिया
विधालय की प्रधानाध्यापिका मधु जैन का कहना है कि पिछले साल 25 जुलाई 2016 को स्टाफिंग पैटर्न के दौरान यहां कार्यरत प्रधानाध्यापिका चंद्ररेखा शर्मा को बस्सी तहसील के गांव अचलपुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विधालय में लगा दिया था, लेकिन वे अभी तक पूरी तरीके से चार्ज सौंपकर नहीं गई हैं। दूसरी तरफ पूर्व प्रधानाध्यापिका चंद्ररेखा शर्मा का कहना है कि मैं कैश संबंधी चार्ज दे आई थी, लेकिन अन्य चार्ज नहीं दे सकी थी। वह जल्द ही चार्ज सौंप देंगी।
पूरा चार्ज ही नहीं दिया
विधालय की प्रधानाध्यापिका मधु जैन का कहना है कि पिछले साल 25 जुलाई 2016 को स्टाफिंग पैटर्न के दौरान यहां कार्यरत प्रधानाध्यापिका चंद्ररेखा शर्मा को बस्सी तहसील के गांव अचलपुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विधालय में लगा दिया था, लेकिन वे अभी तक पूरी तरीके से चार्ज सौंपकर नहीं गई हैं। दूसरी तरफ पूर्व प्रधानाध्यापिका चंद्ररेखा शर्मा का कहना है कि मैं कैश संबंधी चार्ज दे आई थी, लेकिन अन्य चार्ज नहीं दे सकी थी। वह जल्द ही चार्ज सौंप देंगी।
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ग्रामीणों ने बताया कि भवन नहीं होने के कारण आस-पास क्षेत्र के कुछ ग्रामीण अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में भेज रहे हैं। यदि भवन का निर्माण करवा दिया जाए तो यहां दो सौ बच्चों का नामांकन हो सकता है। उन्होंने बताया कि डेडपुरा गांव में एक समारोह में आए जिला प्रमुख मूलचंद मीना ने घोषणा की थी कि इस प्राथमिक विधालय के लिए डेडपुरा बस स्टैण्ड पर भवन निर्माण करवाया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
ग्रामीणों ने बताया कि भवन नहीं होने के कारण आस-पास क्षेत्र के कुछ ग्रामीण अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में भेज रहे हैं। यदि भवन का निर्माण करवा दिया जाए तो यहां दो सौ बच्चों का नामांकन हो सकता है। उन्होंने बताया कि डेडपुरा गांव में एक समारोह में आए जिला प्रमुख मूलचंद मीना ने घोषणा की थी कि इस प्राथमिक विधालय के लिए डेडपुरा बस स्टैण्ड पर भवन निर्माण करवाया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
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चार्ज देने का मामला में मेरी जानकारी में नहीं है। रही बात भवन की तो, भवन के लिए स्कूल पहले एसडीएमसी की बैठक में प्रस्ताव ले। फिर ग्राम पंचायत की बैठक में प्रस्ताव पारित करवाए। इसके बाद पीईओ की मासिक बैठक में इसे रखे। पीईओ इसे बीईईओ कार्यालय में जमा करवा दे, जिससे इसे संबंधित विभाग के अधिकारी के पास भेजा जा सके। वैसे अभी मनरेगा के तहत भवन निर्माण व चारदीवारी के प्रस्ताव भी मांगे जा रहे हैं।
रमेशचंद समासिया, बीईईओ बस्सी
चार्ज देने का मामला में मेरी जानकारी में नहीं है। रही बात भवन की तो, भवन के लिए स्कूल पहले एसडीएमसी की बैठक में प्रस्ताव ले। फिर ग्राम पंचायत की बैठक में प्रस्ताव पारित करवाए। इसके बाद पीईओ की मासिक बैठक में इसे रखे। पीईओ इसे बीईईओ कार्यालय में जमा करवा दे, जिससे इसे संबंधित विभाग के अधिकारी के पास भेजा जा सके। वैसे अभी मनरेगा के तहत भवन निर्माण व चारदीवारी के प्रस्ताव भी मांगे जा रहे हैं।
रमेशचंद समासिया, बीईईओ बस्सी
विधालय भवन का खुद मौके पर जायजा लूंगा। इसके बाद भवन निर्माण की प्रक्रिया को चालू करवाया जाएगा।
रविन्द्र चौधरी, पीईओ एवं प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय, कचौलिया
रविन्द्र चौधरी, पीईओ एवं प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय, कचौलिया