दावा: 13 सप्ताह का अजन्मा बच्चा भी महसूस कर सकता है दर्द
जयपुरPublished: Jan 19, 2020 10:49:12 pm
गर्भपात और उससे जुड़े मामलों में एक और नया खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 13 सप्ताह का अजन्मा बच्चा भी दर्द जैसा कुछ महसूस कर सकता है। इससे पहले वैज्ञानिकों में आम राय थी कि 24 सप्ताह से पहले अजन्मा बच्चा दर्द महसूस नहीं कर सकता है।
दावा: 13 सप्ताह का अजन्मा बच्चा भी महसूस कर सकता है दर्द
लंदन. गर्भपात और उससे जुड़े मामलों में एक और नया खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 13 सप्ताह का अजन्मा बच्चा भी दर्द जैसा कुछ महसूस कर सकता है। इससे पहले वैज्ञानिकों में आम राय थी कि 24 सप्ताह से पहले अजन्मा बच्चा दर्द महसूस नहीं कर सकता है। देखा जाए तो दुनियाभर के ज्यादातर देशों में भी यही राय थी। इसलिए यह तय था कि 24 सप्ताह के बाद गर्भपात नहीं कराया जा सकता है। लेकिन ब्रिटेन में इस विवादास्पद लेख के छपने के बाद इस पर बहस शुरू हो गई है।
दो मेडिकल शोधकर्ताओं द्वारा अपने अध्ययन में इसका खुलासा करने के बाद ब्रिटेन में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी तक 24 सप्ताह के बाद अगर विशेष मामलों को छोड़ दिया जाए तो ब्रिटेन में गर्भपात अवैध है। इस खुलासे के बाद वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि गर्भपात और इसके प्रति मानवीय दृष्टिकोणों में अब बदलाव होना चाहिए। इस कारण अब इसको लेकर भी बहस छिड़ गई है। इ स खुलासे के बाद गर्भपात कराने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। बताया जाता है कि यूके में 2018 में 2,18,2८१ भ्रूण नष्ट किए गए थे। यहां हर साल गर्भधारण की तुलना में 23 फीसदी भ्रूण नष्ट कर दिए जाते हैं। हर साल 18 सप्ताह या उसके बाद करीब छह हजार गर्भपात कराए जाते हैं। इधर, बीपीएएस के क्लेयर मर्फी ने कहा कि इस मुद्दे की अब तक की सबसे व्यापक समीक्षा में पता चला है कि भ्रूण को 24 सप्ताह से पहले दर्द का अनुभव नहीं हो सकता। इस लेख में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे बदलाव लाया जाए। वहीं, फियोना ब्रूस ने कहा कि भ्रूण के दर्द के बारे में विकासशील विचारों व शोध को देखते हुए गर्भपात के संबंध में रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्स्टट्रिशन व गायनोकोलॉजिस्ट्स ने इस मुद्दे पर मार्गदर्शन किया। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। इस लेख के लेखक ब्रिटिश प्रोफेसर स्टुअर्ट डर्बीशायर हैं, जिन्होंने यूके में प्रो-च्वॉइस फोरम के सलाहकार के रूप में काम किया है। 2006 में उन्होंने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में लिखा था कि भ्रूण के दर्द के बारे में गर्भपात की मांग करने वाली महिलाओं से बात करने से बचना सही निर्णय नहीं है।