सत्र के दौरान जहां भाजपा, किसान कर्जमाफी, पेयजल किल्लत और कानून व्यवस्था के मुद्दों पर सरकार को घेरने को का प्रयास करेगी, तो वहीं कांग्रेस पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों को लेकर भाजपा को घेरेंगे।
बैठक में खासतौर पर विपक्ष का सामना करने के साथ ही विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट पर भी चर्चा होगी। कांग्रेस सूत्रों की माने तो बैठक में इस बात पर ज्यादा जोर दिया जाएगा कि सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से ऐसा कुछ भी न हो, जिससे सदन में सरकार को परेशानी का सामना करना पड़े। जिस प्रकार लोकसभा चुनाव में मिली हार के हार के बाद कई मंत्रियों ने ब्यूरोक्रेसी के हावी होने और उनके काम नहीं करने के आरोप लगाए थे।
ऐसे में बैठक में विधायकों और मंत्रियों को समझाया जाएगा कि सदन में कुछ भी ऐसी बात न कहें, जिससे बैठे बैठाए विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल जाए, विधायकों को कोई बात रखनी हो तो वो सीधे मंत्रियों और मुख्यमंत्री के समक्ष रखे। सूत्रों की माने तो मजबूत विपक्ष को देखते हुए प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों की सदन में शत प्रतिशत उपस्थिति रहे, इसके लिए भी बैठक में विधायकों को निर्देश दिए जाएंगे।
निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया बैठक में
वहीं लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस को समर्थन दे चुके 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों को भी बैठक में बुलाया गया है। इस लिहाज से अब सदन में कांग्रेस विधायक दल की संखाया 113 हो जाएगी। 12 निर्दलीय विधायकों में अधिकांश वो जो हैं पूर्व में कांग्रेस पार्टी में ही थे लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के चलते कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय लड़कर विधायक बनें।