राजस्थान में कोरोना के हजारों मरीजों को सता रहा डर, चिकित्सा विभाग कब उठाएगा रहस्य से पर्दा
राज्य में कोरोना की बढ़ती पीड़ा के बीच नया 'रहस्य' खड़ा हो गया है। यह रहस्य है कोरोना का डेड वायरस, जो हजारों मरीजों को सता रहा है लेकिन चिकित्सा विभाग मौन है।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर. राज्य में कोरोना की बढ़ती पीड़ा के बीच नया 'रहस्य' खड़ा हो गया है। यह रहस्य है कोरोना का डेड वायरस, जो हजारों मरीजों को सता रहा है लेकिन चिकित्सा विभाग मौन है। लक्षण नहीं होने के बावजूद ऐसे मरीजों की रिपोर्ट बार-बार पॉजिटिव आ रही है। उन्हें संक्रमित मरीज की तरह पीड़ा भुगतनी पड़ रही है, लेकिन चिकित्सा विभाग इस बारे में अब तक कोई गाइड लाइन जारी नहीं कर पाया है। विशेषज्ञों व मरीजों के फीडबैक के अनुसार कुल 2.68 लाख मरीजों में से लगभग 10 प्रतिशत यानी 25 हजार मरीजों में कोरोना का डेड वायरस होने का अनुमान है। चिकित्सक इसे महत्त्वहीन तो मानते हैं लेकिन चिकित्सा विभाग इसके रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाया है।
क्या है डेड वायरस, क्या होता है असर
वायरस के इस रूप में व्यक्ति संक्रमित होने के बाद उपचार लेकर ठीक हो जाता है लेकिन वायरस मृत रूप में शरीर में मौजूद रहता है। इस दौरान मरीज में कोई लक्षण नहीं होते लेकिन आरटीपीसीआर जांच में वह बार-बार संक्रमित ही पाया जाता है। ऐसी स्थिति कई मामलों में 15 दिन तो कुछ में महीने भर तक दिखती है। चिकित्सकों का कहना है कि डेड वायरस शरीर में रहता तो है लेकिन कोई असर नहीं करता। इसमें संक्रमण के प्रसार की संभावना भी न के बराबर होती है।
डाक्टरों ने माना, डेड वायरस है
डेड वायरस को चिकित्सक भी मान रहे हैं। पिछले दिनों नॉन-कोविड एसएमएस अस्पताल के पोस्ट कोविड सेंटर में कुछ पॉजिटिव मरीजों को रखा गया था। अस्पताल प्रशासन का तर्क था कि इन मरीजों में डेड वायरस था, इसलिए उन्हें रखने से संक्रमण का प्रसार नहीं हो सकता।
25 दिन बाद पता चला, वायरस महत्त्वहीन
जयपुर में मानसरोवर की एक महिला 25 दिन पहले पॉजिटिव मिली। उपचार के बाद ठीक हो गई लेकिन आरटीपीसीआर रिपोर्ट में बार-बार पॉजिटिव आई। दूसरी जांचें कराई लेकिन सबकुछ सामान्य निकला। बाद में उन्हें डॉक्टरों ने बताया कि वायरस मृत रूप में है, जिसका कोई महत्त्व नहीं है।
एक महीने तक कामकाज से रहना पड़ा दूर
टोंक जिले में 3 महीने पहले एक व्यक्ति के पॉजिटिव आने पर उसके भाई ने एहतियातन जांच कराई। वह संक्रमित पाया गया। इसके बाद एक महीने तक आरटीपीसीआर जांच में वह पॉजिटिव आता रहा लेकिन कोई लक्षण नहीं थे। बाद में पता चला कि उसमें डेड वायरस था। इस बीच एक माह तक उसे अपने काम-काज से दूर रहना पड़ा।
लक्षण नहीं तो रिपोर्ट पॉजिटिव क्यों
जयपुर में सोडाला निवासी एक महिला लक्षण नहीं होने के बावजूद दो बार पॉजिटिव पाई गई। वह समझ नहीं पा रहीं कि लक्षण ही नहीं हैं तो पॉजिटिव रिपोर्ट क्यों आ रही है?
एक्सपर्ट बोले, यों करें पहचान
रिपोर्ट पॉजिटिव हो, लेकिन मरीज में लक्षण न हों। इंफ्लेक्ट्रमेटरी मार्कर सामान्य हो। एंटीबॉडी जांच में एंटीबॉडी रिएक्टिव पाए जाएं तो ऐसे मरीजों को उपचार की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती। इनमें डेड वायरस माना जा सकता है।
- डॉ. नरेन्द्र खिप्पल, प्रभारी, ईएसआइ कोविड अस्पताल
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