scriptविधायकों को गिरफ्तारी का डर दिखाने के लिए लगाई गई थी धारा 124ए-राठौड़ | Section 124 A-Rathore was imposed for showing fear of arrest to MLAs | Patrika News

विधायकों को गिरफ्तारी का डर दिखाने के लिए लगाई गई थी धारा 124ए-राठौड़

locationजयपुरPublished: Aug 04, 2020 07:58:53 pm

Submitted by:

Umesh Sharma

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भंवर शर्मा की याचिका पर पुलिस थाना स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में दर्ज धारा 124A व 120बी में राजद्रोह की धारा को हटा दिया है। इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इससे साफ हो गया है कि अपमान की राजनीति के विरूद्ध विद्रोह करने वाले विधायकों की आवाज दबाने के लिए इस तरह की धाराओं को जोड़ा गया था।

विधायकों को गिरफ्तारी का डर दिखाने के लिए लगाई गई थी धारा 124ए-राठौड़

विधायकों को गिरफ्तारी का डर दिखाने के लिए लगाई गई थी धारा 124ए-राठौड़

जयपुर।

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भंवर शर्मा की याचिका पर पुलिस थाना स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में दर्ज धारा 124A व 120बी में राजद्रोह की धारा को हटा दिया है। इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इससे साफ हो गया है कि अपमान की राजनीति के विरूद्ध विद्रोह करने वाले विधायकों की आवाज दबाने के लिए इस तरह की धाराओं को जोड़ा गया था।
राठौड़ ने कहा कि पहले दिन से ही ज्ञात था कि मात्र असंतुष्ट विधायकों में गिरफ्तारी का भय पैदा करने और उन्हें गिरफ्तार करने का षड्यंत्र रचते हुए एसओजी और एसीबी में सभी प्रकरण फर्जी दर्ज कराए गए थे। इस षड्यंत्र को अंजाम देने में चुनिंदा पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय के इशारे पर कठपुतली की तरह नाच रहे हैं। राठौड़ ने कहा कि विद्रोही विधायकों के विरूद्ध आइपीसी की धारा 124A के तहत मुख्य सचेतक महेश जोशी ने प्रथम सूचना दर्ज करवाई गई थी। धारा 124A के अपराध का अनुसन्धान करने के लिए वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में उच्च स्तरीय नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेन्सी एनआईए का गठन किया गया था। लेकिन एनआईए द्वारा इन सभी प्रकरणों की स्वतंत्र रूप से जांच होने पर सरकार की किरकिरी होने के डर से एसओजी ने धारा 124A के आरोप को वापस लेकर थूककर चाटने जैसा काम किया है।
राठौड़ ने कहा कि अपनों के विद्रोह से आशंकित मुख्यमंत्री ने जैसलमेर में अपने ही विधायकों को होटल के एक कमरे से दूसरे कमरे में अनुमति लेकर जाने व जैमर लगाकर आपसी बातचीत तक प्रतिबंधित करने जैसा कार्य करके उनके मौलिक अधिकारों का हनन कर दिया है, जो लोकतंत्र में निंदनीय है। क्या मुख्यमंत्री ने सरेआम यह मान लिया कि उनके समर्थकों की निष्ठा विश्वास करने योग्य नहीं है।
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