जयपुर
नागरिकता संशोधन कानून पर मचे बवाल के बीच भाजपा की और देश में जनजागरण किया जा रहा है। समर्थन में रैलियां, जुलूस और सभाएं हो रही है, वहीं हालात संभालने के लिए अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी सड़कों पर उतरने लगे हैं। जयपुर में रविवार को गंणतंत्र दिवस पर झंडारोहण के बाद संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने हाथ में तिरंगा लेकर भारत तिब्बत सहयोग मंच के पदाधिकारियों के साथ नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में पैदल मार्च किया।
दिल्ली बाइपास पर गलता गेट स्थित एक गार्डन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने पहले तिरंगा फहराया, राष्ट्रगान किया उसके बाद भारत माता के नारे लगाते हुए हाथ में तिरंगा लेकर भारत—तिब्बत सहयोग मंच के पदाधिकारियों के साथ सड़क पर आए गए। रैली के रूप में इंद्रेश कुमार और मंच के कार्यकर्ता सूरजपोल गेट तक पहुंच गए। रैली की सूचना मिलते ही पुलिस का भारी जाब्ता सूरजपोल गेट पहुंच गया और रैली को रामंगज की तरफ बढ़ने से रोक दिया। कार्यकर्ता पुलिस से जद्दोजद करने लगे। उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत होश में आओ, गहलोत मुर्दाबाद जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। माहौल बिगड़ता उससे पहले ही इंद्रेश कुमार ने स्थिति को संभाला और कार्यकर्ताओं की समझाइश करके रैली के साथ वापस गार्डन लौट गए।
वंदेमातरम, नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में निकाली गई इस रैली में शामिल भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ताओं ने रैली शुरू हुई तब वंदेमातरम और सीएए के समर्थन में नारे लगाते हुए चल रहे थे। कुछ देर कार्यकर्ताओं का जोश जैसे जैसे बढ़ा उन्होंने तिब्बत की आजादी और चीन विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके साथ ही एक दो कार्यकर्ताओं ने वंदेमातरम जय सियाराम के नारे लगा दिए, इसके बाद रैली में सीएए के साथ ही वंदेमातरम जयसियाराम और मंदिर निर्माण संबंधी नारे लगाने शुरू कर दिए। यह बात संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार को नागवार गुजरी।
रैली के बाद हुई भारत तिब्बत सहयोग मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसका जिक्र करते हुए कहा कि हमने सीएए के समर्थन में रैली निकाली थी, हमारा उद्देश्य वही था, लेकिन रैली में वंदेमातरम जयसियाराम के जिस तरह से नारे लगे, उसे देखकर संदेश यह गया कि ये शायद राममंदिर निर्माण को लेकर रैली निकाल रहे है। उन्होंने निर्देश दिए कि आगे इस बात का ध्यान रखा जाए कि जिस उद्देश्य के लिए चले हैं, उसी की राह पर चलें। इधर उधर न भटकें।