अमर हसन 2009 में भारत आए थे। यहां आने के बाद वे देश में ही बस गए। ब्रम्हचर्य जीवन में यापन करते हुए उन्होंने भारत के प्रमुख संत एवं विचारकों की किताबों का अरेबिक भाषा में अनुवाद किया। उन्होंने रमन महर्षि की मैं कौन हूं, गुरू ग्रंथ साहिब की गुरूबाणी और तमिल के संत तिरूवल्लुवर द्वारा रचित तिरूकुल्लर किताब को अरेबिक भाषा में अनुवाद किया है। अरेबिक भाषा में लिखने के पीछे उद्देश्य है कि सीरिया के लोग भारत की संस्कृति और यहां के संत, विचारकों की लिखी किताबों को पढ़े और उन्हें जीवन में उतारे।