ऐसा नहीं है कि बाल विवाह के रोकथाम के यहां प्रयास नहीं हुए। यहां स्थित कई समाजिक क्षेत्रों से जुड़े कार्यकर्ता से लेकर प्रशासन तक भी इसे लेकर समय-समय पर अपनी कार्यवाई करती रही है। राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वे के एक रिपोर्ट की मानें तो प्रदेश में लगभग 6.03 फीसदी नाबालिग लड़कियां जो 15 से 19 साल के बीच है, या तो मां बन चुकी हैं या फिर गर्भवती हैं। तो वहीं साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां 31.06 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल के भीतर ही कर दी गई थी। जबकि नाबालिक लड़कियों की शादी और गर्भवती होने के शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी अंतर देखने को मिला।
एनएफएचएस-4 के सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक,साल 2015-16 राजस्थान में 31.05 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल के भीतर हो गई। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर शहरों में 17.05 फीसदी नाबालिग लड़कियों की शादी कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसमें सबसे बड़ी हैरान कर देने वाली बात यह कि नाबालिक लड़कियां जिनकी शादी 10 से 14 साल के दौरान हुई उनमें लगभग 300 से अधिक तलाक के मामले सामने आए। जबकि इसी उम्र की लगभग 3 हजार से अधिक लड़कियां विधवा हो गई, और 2855 लड़कियां अपने पति से अलग रहकर जीवन यापन कर रही हैं। पूरे देश में नाबालिग लड़कियों की शादी के आंकड़े हर राज्य में अलग-अलग है, लेकिन राजस्थान में यह आंकड़ा सबसे अधिक पाया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, यहां प्रदेश में भले ही पिछले एक दशक में नाबालिक लड़कियों की मां बनने और गर्भवती होने की संख्या में कमी आई है, जो पहले 16 फीसदी से घटकर 6.03 फीसदी हो गया है। हालांकि इसके बावजूद भी नाबालिग लड़कियों की शादी को रोकने के लिए यहां लोगों को कई स्तर पर काम कर इनमें सुधार लाने होंगे। जिसमें राजस्थान में सदियों से चली आ रही कई कुप्रथा भी शामिल हैं जो बाल विवाह को बढ़ावा देने का काम करती हैं। बीते कुछ महीने पहले राजस्थान पत्रिका से बातचीत के दौरान महिला एवं बाल विकास संगठन अधिकारी ने भी इस बात को माना कि प्रदेश में पिछले 10 सालों में 10-14 वर्ष के लगभग 29 लाख नाबालिग लड़कियों का विवाह हुआ है।