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किशोरों के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर गंभीरता जरूरी

locationजयपुरPublished: Sep 29, 2019 08:32:58 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

sexual education : India की Population का 21 percent हिस्सा 10 से 19 वर्ष Age Group का है या यूं कहें कि Country में हर पांचवां Indian एक किशोर या किशोरी है। जनसंख्या में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले इन किशोरों के लिए Central and State Government के स्तर पर नीतियां बनाई गई हैं और कार्यक्रम भी क्रियान्यवित किए जा रहे हैं। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे किशोर-किशोरी हैं जो School नहीं जा पा रहे हैं, जिनकी शादी कम उम्र में कर दी गई है।

लाखों मरीजों का जिम्मा संभालने वाले भावी डॉक्टर्स  (Doctors)पर मंडराता अवसाद !

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जयपुर . भारत ( India ) की आबादी ( Population ) का 21 प्रतिशत ( 21 percent ) हिस्सा 10 से 19 वर्ष आयु वर्ग ( Age Group ) का है या यूं कहें कि देश ( Country ) में हर पांचवां भारतीय ( Indian ) एक किशोर या किशोरी है। जनसंख्या में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले इन किशोरों के लिए केंद्र और राज्य सरकार ( Central and State Government ) के स्तर पर नीतियां बनाई गई हैं और कार्यक्रम भी क्रियान्यवित किए जा रहे हैं। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे किशोर-किशोरी हैं जो स्कूल ( School ) नहीं जा पा रहे हैं, जिनकी शादी कम उम्र में कर दी गई है या जो असुरक्षित वातावरण और परिस्थितियों के खतरे के बीच रहने या काम करने को मजबूर हैं। ऐसे भी किशोर-किशोरी बड़ी संख्या में हैं जो स्वभावगत जिज्ञासा या अपने साथियों के दबाव में यौन क्रियाकलापों में शामिल होते हैं। किशोरों से जुड़े इन पहलुओं के आर्थिक, सामाजिक और जनस्वास्थ्य पर गंभीर रूप से विपरीत प्रभाव देखने को मिलते हैं।
वैज्ञानिक तौर पर स्थापित सत्य है कि किशोर पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हों इसे सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में किशोर यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के संदर्भ में अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। दरअसल कम उम्र में यौन संबंधी गतिविधियां, अनचाहे गर्भ ठहर जाना, असुरक्षित गर्भपात, समय से पहले परिपक्वता या माहवारी आना, किशोरों के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। तकनीक के आगमन के साथ ये चुनौतियां और विकराल रूप ले रही हैं। आज के दौर में जब स्मार्टफोन और इंटरनेट ने सब कुछ सुलभ बना दिया है, ऐसे में आधे-अधूरे, अधकचरे ज्ञान और स्वभावगत जिज्ञासा के वश में किशोर असुरक्षित यौनाचार में सक्रिय हो रहे हैं। इससे ये किशोर यौन संक्रमण से जनित रोग जैसे एचआईवी-एड्स इन्फेक्शन जैसी शारीरिक समस्याओं से जूझते हैं बल्कि रिश्तों में बिखराव, भावनात्मक रूप से टूटने जैसे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मनोविकार के भी शिकंजे में भी आ रहे हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा के अभाव में बहक रहे हैं यूवा -:
साल 2018 में परफॉर्मेंस मॉनीटरिंग और अकाउंटेबिलिटी 2020 (पीएमए-2020) ने राजस्थान में 15 से 19 साल की किशोरियों एक सर्वे किया था, जिसमें यौनाचार से जुड़े सवालों के जवाब में 19 प्रतिशत किशोरियों ने बताया कि वे पहली बार यौनाचार कर चुकी हैं। इनमें से सिर्फ 37 प्रतिशत का कहना था कि यौनाचार करने का निर्णय उनका खुद का था। अर्थात करीब दो तिहाई किशोरियां जब यौनाचार करती हैं तो वो किसी दबाव में या जानकारी के अभाव में होता है। यौनाचार का अनुभव कर चुकी किशोरियों में से करीब आधी (53 प्रतिशत) का कहना था कि उनका पहला अनुभव सही समय पर था जबकि 36 प्रतिशत किशोरियां चाहती थी कि इसके लिए अभी उन्हें और वक्त मिलना चाहिए था।

यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत -:
पीएमए 2020 के ये आंकड़े बताते हैं कि किशोरों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं पर समेकित रूप से और ज्यादा ध्यान दिया जाना कितना आवश्यक है। विडंबना ये है कि हमारे समाज में जननांगों और यौन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को काफी निजी माना जाता रहा है और इस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करना वर्जित है। यहां तक कि शिक्षक और अभिभावक के सामने भी शरीर के निजी अंगों या यौनाचार से जुड़ी समस्याओं को खुल कर बताने में हिचकिचाहट है। ऐसे में एक किशोर अपने खुद के जरिए हासिल की गई जानकारियों के सहारे अपनी जिज्ञासाएं शांत करता है। ये जानकारियां अधिकतर अपूर्ण और अवैज्ञानिक होती हैं जिनका परिणाम ये निकलता है कि शारीरिक और बौद्धिक विकास की उम्र में वे असुरक्षित यौन संबंध और इससे जनित यौन रोग और मानसिक समस्याओं का शिकार हो रहे हैं।
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