स्वास्थ्य शिक्षा के अभाव में बहक रहे हैं यूवा -:
साल 2018 में परफॉर्मेंस मॉनीटरिंग और अकाउंटेबिलिटी 2020 (पीएमए-2020) ने राजस्थान में 15 से 19 साल की किशोरियों एक सर्वे किया था, जिसमें यौनाचार से जुड़े सवालों के जवाब में 19 प्रतिशत किशोरियों ने बताया कि वे पहली बार यौनाचार कर चुकी हैं। इनमें से सिर्फ 37 प्रतिशत का कहना था कि यौनाचार करने का निर्णय उनका खुद का था। अर्थात करीब दो तिहाई किशोरियां जब यौनाचार करती हैं तो वो किसी दबाव में या जानकारी के अभाव में होता है। यौनाचार का अनुभव कर चुकी किशोरियों में से करीब आधी (53 प्रतिशत) का कहना था कि उनका पहला अनुभव सही समय पर था जबकि 36 प्रतिशत किशोरियां चाहती थी कि इसके लिए अभी उन्हें और वक्त मिलना चाहिए था।
यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत -:
पीएमए 2020 के ये आंकड़े बताते हैं कि किशोरों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं पर समेकित रूप से और ज्यादा ध्यान दिया जाना कितना आवश्यक है। विडंबना ये है कि हमारे समाज में जननांगों और यौन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को काफी निजी माना जाता रहा है और इस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करना वर्जित है। यहां तक कि शिक्षक और अभिभावक के सामने भी शरीर के निजी अंगों या यौनाचार से जुड़ी समस्याओं को खुल कर बताने में हिचकिचाहट है। ऐसे में एक किशोर अपने खुद के जरिए हासिल की गई जानकारियों के सहारे अपनी जिज्ञासाएं शांत करता है। ये जानकारियां अधिकतर अपूर्ण और अवैज्ञानिक होती हैं जिनका परिणाम ये निकलता है कि शारीरिक और बौद्धिक विकास की उम्र में वे असुरक्षित यौन संबंध और इससे जनित यौन रोग और मानसिक समस्याओं का शिकार हो रहे हैं।