जब बाप की करतूत को मां ने अपनी आंखों से देखा तो हवस में अंधे पति को जेल की सलाखों के पीछे भेजने की बजाय बदनामी के डर से बेटी को चुप करा दिया। हालांकि मां अब पति और बेटी के बीच दीवार बनकर सामने रहती थी, लेकिन ऐसे कई मौके परिवार में आ ही जाते जब बेटी और बाप अकेले होते। बाप इस मौके को गंवाए बगैर बेटी के जिस्म से खेलता।
जब भी बेटी बाप की गंदी हरकत के बारे में मां को बताती, वह उसको कभी ननिहाल भेज देती या फिर किसी रिश्तेदार के भेजकर हवस में अंधे पति से बचाती, लेकिन समाज में बदनामी के डर से उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से हिचकिचाती, यही कारण रहा कि बाप की हरकतें अब बेटी के बरदाश्त से बाहर हो गई। लिहाजा बेटी को इज्जत का चौला उतारकर मुंह खोलना पड़ा।
थानाधिकारी बीना सिंह ने बताया कि पीडि़ता 2010 में बंगाल में रहती थी। उस दौरान उसे वहां छोडऩे जाते समय पिता बस में अश्लील हरकत करता था। 2011 में झुंझुनूं के मंडावा में रहनी लगी तो गर्मियों की छुट्टियों में गुरुग्राम से घर आए पिता ने उसे अकेली पाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद एक महीने तक आरोपी उससे दुष्कर्म करता रहा।
इस दौरान एक दिन मां ने देख लिया, लेकिन बदनामी के डर से पीडि़ता को चुप करवा दिया। 2017 में जयपुर में पढ़ाई करने के लिए किराए के मकान में मां और भाई के साथ रह रही थी। यहां भी आरोपी ने इस साल 2 मई को मौका देखकर फिर से जबरदस्ती की। इसके बाद पिता से बचकर पीडि़ता नजदीक रहने वाले मामा के घर पहुंची और घटनाक्रम की जानकारी दी।