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समानांतर सिनेमा की सार्थक अभिनेत्री शबाना आजमी, मिल चुके हैं पांच नेशनल फिल्म अवॉर्ड

locationजयपुरPublished: Sep 17, 2019 09:22:42 pm

Submitted by:

uma mishra

लीक से हटकर फिल्में करने वाली अभिनेत्री Shabana Azmi ने पांच National Film Awards अपने नाम किए हैं।

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समानांतर सिनेमा की सार्थक अभिनेत्री शबाना आजमी, मिल चुके हैं पांच नेशनल फिल्म अवॉर्ड,समानांतर सिनेमा की सार्थक अभिनेत्री शबाना आजमी, मिल चुके हैं पांच नेशनल फिल्म अवॉर्ड

जयपुर. अगर आप बॉलीवुड की लीक से हटकर फिल्मों की बात करेंगे, तो उनमें अंकुर, अर्थ, खंडहर, पार, गॉडमदर, निशांत, स्वामी, फायर, मंडी और मकड़ी जैसी फिल्में भी शामिल होंगी और इन फिल्मों की एक कॉमन बात यह है कि इन सभी में शबाना आजमी ने महत्वपूर्ण रोल निभाया है। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह भी कि इनमें से पांच फिल्में ऐसी हैं, जिनके लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला।
तीन साल लगातार नेशनल फिल्म अवॉर्ड शबाना के खाते
पद्मश्री से सम्मानित शबाना आजमी ने अपनी डेब्यू फिल्म ‘अंकुर’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल फिल्म अवॉर्ड हासिल किया था। यह फिल्म १९७४ में रिलीज हुई थी। इसके बाद १९८३ से १९८५ तक यानी लगातार तीन साल तक उन्होंने बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किया। ये तीन फिल्में थीं, अर्थ, खंडहर और पार। उन्हें बाद में फिल्म ‘गॉडमदर’ के लिए भी बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला था यानी कुल पांच नेशनल फिल्म अवॉर्ड उनके खाते दर्ज हैं, इसके अलावा भी कई प्रतिष्ठित पुरस्कार उन्हें अपनी बेहतरीन अदायगी के लिए मिले हैं।
लीक से हटकर चलने की जिद…
शबाना आजमी ने कॉमर्शियल फिल्में भी खूब की हैं, लेकिन उनकी पहली पसंद तो लीक से हटकर सिनेमा ही रहा है। आखिर तो उनका जीवन भी लीक से हटकर ही था।
लीक से हटकर चलना सिखाया उन्हें उनके अम्मी-अब्बू ने यानी शौकत आजमी और कैफी आजमी ने। शायर पिता और अदाकारा मां की छांव में रही हैं वे। कभी अपने अब्बू के साथ शायरों की महफिल में जातीं, तो कभी अपनी अम्मी के साथ थिएटर, कितने जुदा रंग थे, जो उसने बचपन में देख लिए थे, पर सबसे पहला रंग तो लाल ही था।
कहती हैं शबाना
शबाना आजमी कहती हैं, मैंने जब इस दुनिया में आंखें खोलीं तो जो पहला रंग मैंने देखा वो रंग था लाल! मैं बचपन में अपने मां-बाप के साथ ‘रेड फ्लैग हॉल’ में रहती थी, जहां बाहर के दरवाजे पर ही एक बड़ा-सा लाल झण्डा लहराता रहता था। जरा सी बड़ी हुई तो बताया गया कि लाल रंग मजदूरों का रंग है।
खुद भी चलीं इस राह पर
शबाना बचपन में ही अपने अब्बू के साथ मजदूर-किसानों के जलसों में जाया करती थीं। वे खुद भी झुग्गी-झोपड़ी वालों के हक में भूख हड़ताल कर चुकी हैं, उन्हें लोग डरा दिया करते थे कि वे अभिनेत्री हैं, सडक़ों पर उतरेंगी, तो लोग कपड़े फाड़ देंगे, लेकिन उनके अब्बू उन्हें हमेशा हौसला देते थे, नहीं डरने की सीख। इस सीख को शबाना ने खूब जीया और इसी सीख का असर उनके फिल्मों के चयन पर भी रहा। १८ सितंबर को शबाना आजमी का जन्मदिन है, यकीनन अपने जन्मदिन को खास बनाने के लिए वे कोई न कोई बेहतरी की योजना बना रही होंगी।
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