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RECESSION : यूरोप पर क्यों छाया मंदी का साया

locationजयपुरPublished: Sep 08, 2019 05:59:59 pm

Submitted by:

pushpesh

यूरोजोन (eurozone) की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति (economic power) जर्मनी का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पिछली तिमाही (अप्रेल-जून) में 0.1 फीसदी कम हुई है, जो पिछली तीन तिमाही में सबसे कम है। निर्यात, विशेषकर ऑटोमोबाइल सेक्टर (automobile sector) चीन की आर्थिक मंदी के चलते सुस्त है।

RECESSION : यूरोप पर क्यों छाया मंदी का साया

RECESSION : यूरोप पर क्यों छाया मंदी का साया

आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया पर मंदी के खतरा मंडरा रहा है। एशियाई देशों के अलावा यूरोप भी इससे अछूता नहीं रहा। यूरोप की अर्थव्यवस्था में जर्मनी की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन इन दिनों जर्मनी में आसन्न मंदी से यूरोप की अर्थव्यवस्था पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। यूरोजोन की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति जर्मनी का सकल घरेलू उत्पाद पिछली तिमाही (अप्रेल-जून) में 0.1 फीसदी कम हुई है, जो पिछली तीन तिमाही में सबसे कम है। निर्यात, विशेषकर ऑटोमोबाइल सेक्टर चीन की आर्थिक मंदी के चलते सुस्त है। क्योंकि जर्मनी का व्यापार जापान और अमरीका सहित अन्य देशों की बजाय निर्यात पर ज्यादा निर्भर है और इसी वजह से विदेशी आर्थिक हालातों से यहां की अर्थव्यवस्था आसानी से प्रभावित हो जाती है।
देश के विनिर्माण क्षेत्र में व्यापार की भावना तेजी से गड़बड़ा रही है। इस बात की अटकलें तेज हो रही हैं कि जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर मंदी मंडराने लगी है। पूरे यूरोजोन की विकास दर गिर रही है। २०१० से २०१२ के बीच ग्रीस पर कर्ज के चलते यूरोप पहले ही आर्थिक संकट में आ चुका है। इस पर इटली, स्पेन और पुर्तगाल जैसे दक्षिण यूरोपीय देशों में वित्तीय चिंताओं ने यहां के बाजार को हिला दिया था। उस वक्त कमजोर यूरो के साथ निर्यात में वृद्धि करने वाला एकमात्र यूरोपीय देश जर्मनी ही था। यूरोपीय संघ में उत्तर और दक्षिण की विषमता को बढ़ाने वाले नकारात्मक पहलुओं के बावजूद यह भी सच है कि जर्मनी ने यूरोप में आर्थिक सुधारों का नेतृत्व किया है। हालांकि इस बार जर्मनी की अर्थव्यवस्था यूरोप के लिए भरोसा नहीं, चेतावनी के संकेत दे रही है।
इटली और ब्रिटेन के हालत भी ठीक नहीं
जर्मनी और फ्रांस के बाद यूरोजोन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इटली भी इस तिमाही में शून्य वृद्धि दर तक सिमट गई। इसकी वजह उस राजनीतिक उथल पुथल भी, जिसके कारण इटली की गठबंधन सरकार के पतन की आशंका बढ़ गई है। इटली की इस दशा के पीछे लोन वसूल नहीं करने वाले वित्तीय संस्थान भी हैं। यदि एक के बाद एक कर्जदारों का रवैया बिगड़ता है तो वित्तीय संकट बढ़ सकता है। ब्रिटेन में जब से बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री पद संभाला है, तब से ब्रेग्जिट की अटकलें फिर बढ़ गई हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह ब्रिटेन और यूरोपीय संघ दोनों ने लिए अराजकता की स्थिति हो सकती है।
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