शिक्षा विभाग के शाल दर्पण और शाला दर्शन पोर्टल के निर्माण में सरकार ने खामी छोड़ दी, जिसका खामियाजा अब शिक्षक भुगत रहे हैं। प्रदेश में कई ऐसे शिक्षक हैं जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन पोर्टल पर उनका कॉलम ही नहीं है। जिसकी वजह से इच्छित स्थान पर उनका तबादला नहीं हो सका। कई शिक्षक ऐसे भी हैं जो असाध्य रोगों से पीड़ित हैं फिर भी उनका तबादला दूर—दराज के स्थानों पर हो गया। उनको राहत मिलने के स्थान पर उलटा परेशानी हो गई। विभाग को पता ही नहीं है कि ये गंभीर रोग से ग्रसित हैं।
विभाग के पोर्टल पर दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता, विशेष योग्यता, पुरस्कार, न्यायिक प्रकरण, पदोन्नति परित्याग, शैक्षणिक योग्यता आदि का विवरण तो है, लेकिन असाध्य रोगियों का कोई कॉलम ही नहीं है, जिसकी वजह से बहुत से असाध्य रोगियों को तबादलों के दौर में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
असाध्य रोगियों की जानकारी विभाग के अधिकारियों के भी पास नहीं हैं, जिसकी वजह से तबादला कैंपों में उन्हें राहत नहीं मिल सकी। हालात ये हैं कि कई गंभीर रोगी आवेदन करने के बाद भी परेशान हैं। उन्हें तबादलों के दौर में कोई राहत नहीं मिली है।
गंभीर बीमारी का कॉलम नहीं होने से गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षक परेशान हो रहे हैं। सरकार को पोर्टल को अपडेट करना चाहिए और ऐसे शिक्षकों को राहत देनी चाहिए।
शेर सिंह चौहान, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ