scriptजहां बेटी बचाने का नारा, मां—बाप को वहीं बेटी की चिंता | shame to society, because they are smiling in jail | Patrika News

जहां बेटी बचाने का नारा, मां—बाप को वहीं बेटी की चिंता

locationजयपुरPublished: Sep 18, 2019 12:40:50 am

Submitted by:

Shailendra Agarwal

12 साल से छोटी लड़कियों से बलात्कार पर फांसी की पहल, लेकिन अब कोर्ट खोलने की तैयारी में पीछे
 

किशोरी से किया था बलात्कार, अब भुगतेगा 10 वर्ष का कठोर कारावास

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जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम आते ही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा याद आ जाता है, लेकिन इन दिनों केन्द्र सरकार नाबालिग लड़कियों से बलात्कार करने वालों को दो माह में सजा के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट खोलना चाहती है। राजस्थान में भी 45 कोर्ट खोली जानी हैं, लेकिन राज्य सरकार का प्रस्ताव नहीं जाने और जगह तय नहीं होने से बेटियों को बचाने के लिए खुलने वाली ये कोर्ट 2 अक्टूबर से शुरू होना मुश्किल लग रहा है। पिछले साल भी यहां 55 पॉक्सो कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश से ही खुल पाईं थी।
राजस्थान ने वैसे तो जुलाई में बजट के समय ही पॉक्सो मामलों के लिए 47 नई कोर्ट खोलने की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन इनके लिए अब तक कोई औपचारिक प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ है। इन न्यायालयों के लिए जगह का चयन हार्ईकोर्ट करेगा और उन जगहों पर कोर्ट खोलने के प्रस्ताव को राज्य सरकार अंतिम रूप देगी। घोषित योजना के तहत केन्द्र सरकार ने प्रस्ताव तैयार करने के लिए राज्यों को 31 दिसम्बर तक का समय दिया है। बलात्कार व पॉक्सो मामलों में तुरन्त फैसले के लिए केन्द्र सरकार ने 1023 फास्ट ट्रेक अदालत स्थापित करने की घोषणा की है, जिनमें से 45 राजस्थान में होंगी। इनमें से प्रदेश में 26 अदालत केवल पॉक्सो मामलों के लिए होंगी और 19 में बलात्कार व पॉक्सो मामलों की सुनवाई होगी। इनके शुरू होने पर प्रदेश में पॉक्सो मामलों की अदालतों की संख्या 101 हो जाएगी। वर्तमान में सभी जिलों में पॉक्सो मामलों के लिए एक—एक अदालत है और जयपुर व जोधपुर में दो—दो अदालत हैं। इनके अलावा 21 अदालतें वहां हैं, जहां पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या अधिक है।
क्यों खोली जा रही हैं ये अदालतें
केन्द्र सरकार ने पिछले साल आपराधिक विधि अधिनियम में बच्चों से बलात्कार व पॉक्सो मामलों पर दो माह में फैसला करने का प्रावधान किया। इसकी पालना कराने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पॉक्सो कोर्ट बढ़ाने का आग्रह किया और 10 जुलाई 19 को मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में इन अदालतों सहित प्रदेश में 86 नए न्यायालय स्थापित करने की घोषणा की। इसी बीच 25 जुलाई 19 को सुप्रीम कोर्ट ने हर जिले में एक पॉक्सो कोर्ट के साथ ही 100 से अधिक मामले होने पर इन अदालतों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया। इसकी पालना में केन्द्र सरकार इन फास्ट ट्रेक अदालतों की शुरूआत कर रही है, जो दो साल के लिए होंगी और फिलहाल इन अदालतों को एक साल के लिए शुरू किया जा रहा है। अगले साल फिर इन अदालतों का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा।
हर कोर्ट पर खर्च होंगे सालाना 75 लाख रुपए
केन्द्र सरकार के अनुसार हर फास्ट ट्रेक कोर्ट पर सालाना 75 लाख रुपए का खर्चा आएगा, जिसमें से जज और कोर्ट के सात कर्मचारियों के वेतन पर सालाना 63 लाख रुपए खर्च होंगे। इनको बच्चों और महिलाओं की सहुलियत के अनुरूप बनाने पर प्रति कोर्ट 8 लाख 10 हजार रुपए का खर्चा आएगा।
पॉक्सो मामलों की स्थिति
— देश में 30 जून 19 को लंबित पॉक्सो मामलों की संख्या— 160989
— प्रदेश की अदालतों में 31 मार्च 18 को 7431 मामले
— प्रदेश की अदालतों में 30 जून 19 को 6317 मामले
— नई कोर्ट में से प्रत्येक हर साल करना होगा 165 मुकदमों का फैसला
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