आपको बता दें कि एनजीटी ने हिम जागृति वेलफेयर सोसायटी की याचिका पर मई में भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अगुवाई में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। ट्रिब्यूनल ने समिति को देशभर में हो रहे प्लास्टिक के अत्याधिक इस्तेमाल पर अपना सुझाव और इसके नियमन के उपाय बताने के लिए कहा था। समिति ने जून, जुलाई व अगस्त में खाने पीने से लेकर सौंदर्य प्रसाधन, दवाइयां, कपडे़ आदि बनाने वाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के कई प्रतिनिधियों के अलावा पर्यावरण विशेषज्ञों, गैर सरकारी संगठनों के साथ कई दौर की बैठकों बाद रिपोर्ट तैयार करके एनजीटी में पेश किया है।
समिति ने कहा है कि देश में प्लास्टिक के अत्याधिक इस्तेमाल पर रोक लगाने और इसके नियमन की जरूरत है। रिपोर्ट में प्लास्टिक कचरे का निपटारा तय नियमों के अनुसार प्रभावी तरीके से करने का सुझाव दिया गया है। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी क्षेत्र की कंपनियों को अपने सामानों की पैकेजिंग के तरीकों में बदलाव कर प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना चाहिए। सरकार और अन्य संबंधित निकायों को उन कंपनियों को प्रोत्साहन देने को सुझाव दिया है जो नए तरीके से प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करते हैं। दूसरी तरफ पैकेजिंग में अत्याधिक प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों पर दंड लगाने का भी सुझाव दिया है।
समिति ने प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और इसके विकल्प और पर्यावरण हितैषी चीजों को बढ़ावा देने की बात भी कही है। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में बांस और लकड़ी से बने बर्तनों और पत्तियों से बनी प्लेट और दोनों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा जूट और कपड़े के थैले प्रयोग करने का सुझाव दिया है। यहां सबसे ज्यादा प्रयोग विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन और दवाइयों के अलावा कपड़ों की पैकेजिंग में प्लास्टिक का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है।