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Single Used Plastic Banned Campaign : शैंपू के पाउच होंगे बीते दिनों की बात

locationजयपुरPublished: Sep 15, 2019 05:39:28 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

Single Used Plastic Banned Campaign : शैंपू के पाउच होंगे बीते दिनों की बातपाउच पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिशपर्यावरण के लिए खतरनाक हैं शैंपू के पाउच

fake shampoo

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शैंपू , तेल और अन्य सामग्रियों के छोटे छोटे प्लास्टिक पाउच अब जल्द ही बीते दिनों की बात हो सकती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश रिपोर्ट में विशेषज्ञ समिति ने महज एक बार इस्तेमाल होने वाले शैंपू, तेल आदि सामग्रियों के प्लास्टिक पाउच को पर्यावरण के लिए खतरनाक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
देशभर में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने की कोशिश की जा रही है। जगह जगह लोगों को कपड़ों से बने बैग इस्तेमाल करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस बीच बताया जा हा है कि अब शैंपू, तेल जैसी अन्य चीजों के प्लास्टिक पाउच पर भी जल्द ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है। दरअसल हिम जागृति वेलफेयर सोसायटी ने एनजीटी में पेश की गई रिपोर्ट में दावा किया है कि शैंपू और तेल जैसी चीजों के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के पाउच भी पर्यावरण के लिए खतरा है। ऐसे में इन प्लास्टिक के पाउचों पर भी बैन लगाना चाहिए। इसके अलावा समिति ने अपनी रिपोर्ट में पानी के लिए इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर भी रोक लगाने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि एक बार प्रयोग होने वाले प्लास्टिक के पाउच का कूड़ा न सिर्फ उठाने में दिक्कत होती है बल्कि इसके उचित निपटारे में भी परेशानी होती है। समिति ने इसकी जगह बायो प्लास्टिक और पॉली लैक्टिक से बने बायोडिग्रेडबल प्लास्टिक के इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।
मई में गठित की गई थी समिति
आपको बता दें कि एनजीटी ने हिम जागृति वेलफेयर सोसायटी की याचिका पर मई में भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अगुवाई में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। ट्रिब्यूनल ने समिति को देशभर में हो रहे प्लास्टिक के अत्याधिक इस्तेमाल पर अपना सुझाव और इसके नियमन के उपाय बताने के लिए कहा था। समिति ने जून, जुलाई व अगस्त में खाने पीने से लेकर सौंदर्य प्रसाधन, दवाइयां, कपडे़ आदि बनाने वाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के कई प्रतिनिधियों के अलावा पर्यावरण विशेषज्ञों, गैर सरकारी संगठनों के साथ कई दौर की बैठकों बाद रिपोर्ट तैयार करके एनजीटी में पेश किया है।
नियमन की जरूरत
समिति ने कहा है कि देश में प्लास्टिक के अत्याधिक इस्तेमाल पर रोक लगाने और इसके नियमन की जरूरत है। रिपोर्ट में प्लास्टिक कचरे का निपटारा तय नियमों के अनुसार प्रभावी तरीके से करने का सुझाव दिया गया है। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी क्षेत्र की कंपनियों को अपने सामानों की पैकेजिंग के तरीकों में बदलाव कर प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना चाहिए। सरकार और अन्य संबंधित निकायों को उन कंपनियों को प्रोत्साहन देने को सुझाव दिया है जो नए तरीके से प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करते हैं। दूसरी तरफ पैकेजिंग में अत्याधिक प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों पर दंड लगाने का भी सुझाव दिया है।
बांस से बने उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा
समिति ने प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और इसके विकल्प और पर्यावरण हितैषी चीजों को बढ़ावा देने की बात भी कही है। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में बांस और लकड़ी से बने बर्तनों और पत्तियों से बनी प्लेट और दोनों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा जूट और कपड़े के थैले प्रयोग करने का सुझाव दिया है। यहां सबसे ज्यादा प्रयोग विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन और दवाइयों के अलावा कपड़ों की पैकेजिंग में प्लास्टिक का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है।
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