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Shanischari Amavasya 2021 शनि का प्रकोप शांत करने का सबसे अच्छा मौका

locationजयपुरPublished: Mar 12, 2021 04:22:58 pm

Submitted by:

deepak deewan

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जयपुर. सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। यह पितरों की तिथि कही जाती है। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन शिव और चंद्र देव की पूजा के साथ ही पितरों के निमित्त दान आदि करने का विधान है। जब अमावस्या शनिवार के दिन आती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। इस दिन शनिदेव की भी विशेष पूजा की जाती है।
13 मार्च 2021 को फाल्गुन मास की अमावस्या है। पंचांगों के अनुसार 12 तारीख की दोपहर करीब 3 बजे से ही अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. 13 तारीख को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहेगी और दोपहर में 3 बजे के बाद फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा शुरू होगी। उदया तिथि होने के कारण अमावस्या 13 मार्च को मनाई जाएगी। शनिवार को होने से इस बार अमावस्या का महत्व बढ़ गया है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार अमावस्या पर शिवपूजा जरूर करना चाहिए। शिवलिंग पर जल या दूध से अभिषेक करें और धतूरा, बिल्व पत्र आदि चढ़ाएं। इस दिन पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए तर्पण करना चाहिए। अमावस्या पर दोपहर करीब 12 बजे पितरों का तर्पण कर उन्हें धूप दें। पितरों की प्रसन्नता के लिए जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं या दान करें। अमावस्या पर चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है।
शनिश्चरी अमावस्या होने से इस दिन शनि देव की प्रसन्नता के लिए काले वस्त्र, खासतौर पर काले कंबल का दान करना चाहिए। इस दिन काले तिल का दान भी उत्तम माना जाता है। जिन पर शनि का प्रकोप हो उन्हें अमावस्या पर शनिदेव की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। शनिदेव की प्रसन्नता के लिए तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इस दिन तेल का दान भी करें।
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