शनिवार को शनि मंदिर में जाकर उन्हें तेल अर्पित करने और पूजा—पाठ करने के लिए शहर के शनि मंदिरों में भी खूब गहमागहमी बनी रहती है। मोहल्ला डाकोतान का मंदिर शहर का सबसे प्राचीन शनि मंदिर माना जाता है। इसके साथ ही विद्याधर नगर सेक्टर-8 स्थित शनि मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर ट्रस्ट का आदर्श नगर का शनिश्चर मंदिर, इमली वाला फाटक शनि मंदिर, बापूनगर सिद्धपीठ शनि धाम, ओटीएस का शनि मंदिर, दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन शनि मंदिर, त्रिवेणी नगर चौराहा का शनि मंदिर, इंदिरा बाजार के शनि मंदिर में भी हर शनिवार को भक्तों की भीड जुटती है। मंदिरों के पुजारी के सान्निध्य में इस दिन सूर्यपुत्र का जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक किया जाता है और उनकी अर्चना की जाती है।
शनि मंदिरों में आमतौर पर शिलाएं रहती हैं और शनिदेव की पाषाण प्रतिमा भी स्थापित की जाती हैं। ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि शनि की नजर बहुत खराब होती है, इसलिए इससे बचना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि कुंडली में शनि जिस स्थान पर बैठते हैं प्राय: उसका सुख देते हैं पर जिन स्थानों पर उनकी दृष्टि पड़ती है, उनके परिणाम उतने शुभ फलदायी नहीं होते। यही कारण है कि मंदिरों में स्थापित शनिदेव की प्रतिमा में उनकी आंखों से बचना चाहिए, पूजा करने के लिए मूर्ति के ठीक सामने नहीं बैठें बल्कि कुछ हटकर बैठें। इससे शनिदेव की आपकर सीधी दृष्टि नहीं पड़ेगी।