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जयपुर

आसमान से बरसा ‘शरद का अमृत‘ तो धवल चांदनी में ऐसे इठलाई ‘मरूधरा‘, देखें शानदार तस्वीरें

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5 years ago
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चांद का हुस्न भी जमीन से है, चांद पर चांदनी नहीं होती... जयपुर। शरद पूर्णिमा का चांद। यानी पूर्ण चन्द्रमा। सोलह कलाओं से युक्त। ऐसी धवल चांदनी से भरपूर, जो आंखों को शीतलता, मन को निर्मलता और तन को दुरुस्ती से दे। लेकिन विडम्बना देखिए, ऐसी खासियतों से भरे चांद का हुस्न भी जमीन से है, क्योंकि खुद चांद पर चांदनी नहीं होती। धरती पर चांदनी बिखरती है, जर्रा-जर्रा धवल आभा बिखेरता है तब पता चलता है यह कमाल चांद का है। तस्वीर जेएलएन मार्ग की है, जहां बुधवार रात चांद ने अपनी सबसे प्यारी चीज धरा पर बिखेरी तो सैकड़ों बल्बों की लड़ी मानो चुंधिया गई। फोटो - अनुग्रह सोलोमन

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धवल रोशनी से नहाई पिछोला झील.... शरद पूर्णिमा की सुरमयी शाम को चांद की धवल रोशनी पिछोला झील की शांत लहरों पर पड़ी तो कुछ इसी तरह का नजारा बन पड़ा। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो चांद व लहरों के बीच जुगलबंदी चल रही हो। फोटो - प्रमोद सोनी

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फोटो - दिनेश डाबी

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बुधवार को शरद पूर्णिमा पूर्ण चांद निकलने पर उसकी दुधिया रोशनी से डूंगर सिंह की जी की प्रतिमा रोशन दिखाई देने लगी। फोटो - नौशाद अली

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भरतपुर में शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में जगमगाया शहर फोटो - विनोद शर्मा

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फोटो - दिनेश डाबी

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