जयपुरPublished: Sep 26, 2022 04:06:40 pm
Kamlesh Sharma
आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि को देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवदुर्गा में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनंत हैं। मां पार्वती को शैलपुत्री के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री दुर्गा जी के नौ रूपों का प्रथम स्वरूप है।
नूपुर शर्मा.
जयपुर . आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नौ देवियों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना होती है। इन नौ देवियों के नाम मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री हैं। पुराणों के अनुसार इन सभी की अलग-अलग मान्यताएं हैं और इन्हें नौ देवियों के रूप जाना जाता है। आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि को देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। नवदुर्गा में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनंत हैं। मां पार्वती को शैलपुत्री के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री दुर्गा जी के नौ रूपों का प्रथम स्वरूप है। यह नवदुर्गा में दुर्गा का पहला रूप है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्रि पूजा के पहले दिन इनकी उपासना की जाती है। शैल का अर्थ है पहाड़ होता है। पर्वतराज हिमवान की पुत्री पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है।