वहीं, घट स्थापना व महाअष्टमी (17 अक्टूबर) भी बुधवार को पड़ेगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक पहले नवरात्र पर सुबह 7:26 बजे यानि उदयव्यापिनी होने से इस दिन घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा। साथ ही इस बार नवरात्रों में द्विस्वभाव लग्न में घट स्थापना होगी।
घट स्थापना वाले दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग दोनों संयोग शुभ नहीं है। सुबह 11.01 बजे तक यह योग रहेगा। इसके दो चरण निकलने के बाद घटस्थापना के लिए यह दोष स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। पहले दिन द्वितीया तिथि का क्षय होगा, लेकिन षष्ठी तिथि दो दिन होने से नवरात्रा पूरे नौ दिन के होंगे। इन दिनों में पांच रवि योग (12, 13,14, 15 व 18 अक्टूबर) और सर्वार्थ सिद्धि योग (14 अक्टूबर) का विशेष संयोग भी बन रहा है, जो कि पूजा अर्चना, शुभ कार्यों के लिए बेहतर होगा।
कलश स्थापना मुहूर्त
पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि बुधवार को अभिजीत मुहूूर्त में घट स्थापना नहीं करनी चाहिए। देवीपुराण के अनुसार सुबह देवी का आह्वान, स्थापना और पूजा शास्त्रानुसार होती है, लेकिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग को निषेध माना गया है। हालांकि इसके दो चरणों को त्यागकर घट स्थापना की जा सकती है। सुबह 11 बजकर 1 मिनट तक चित्रा और वैधृति योग 11.58 तक है। अत: नवरात्रा स्थापना बुधवार सुबह 6.27 से 7.01 बजे तक द्विस्वभाव कन्या लग्न में शुभ है।