scriptइस शरदीय नवरात्र में बन रहा सर्वसिद्धि का दुर्लभ संयोग, जाने कलश स्थपना का शुभ मुहुर्त और पूजा विधि | Shardiya Navratri 2019 Date Time : start 29 september pooja vidhi | Patrika News

इस शरदीय नवरात्र में बन रहा सर्वसिद्धि का दुर्लभ संयोग, जाने कलश स्थपना का शुभ मुहुर्त और पूजा विधि

locationजयपुरPublished: Sep 23, 2019 03:50:36 pm

Submitted by:

Deepshikha Vashista

Shardiya Navratri 2019 Date : शारदीय नवरात्र की शुरुआत आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर ( 29 September ) रविवार को कलश स्थापना से होगी। इस बार सर्वार्थसिद्धि (sarvaarthasiddhi yog) व अमृतसिद्धि योग (amrtasiddhi yog) में हो रही नवरात्र की शुरुआत
 

जयपुर। शक्ति उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर रविवार को कलश स्थापना से होगी। नवरात्र के तहत कई बाजार सजने लगे हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा को कलाकार अंतिम रूप देने में जुटने के साथ ही आकर्षक पंडाल बनने लगे हैं। खास बात यह है कि इस बार नवरात्रों में बेहद दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है।
इस बार नवरात्र में सर्वार्थसिद्धि योग ( Sarvaarthasiddhi Yog ) और अमृत सिद्धि योग ( Amrtasiddhi Yog ) एकसाथ बनते नजर आएंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस सर्वसिद्धि योग को बेहद शुभ माना जा रहा है। पूरे नौ दिन अलग-अलग संयोगों में सभी राशि के जातकों के लिए नवरात्र समृद्धिदायक रहेंगे। आठ अक्टूबर को विजयदशमी ( Vijayadashami ) यानि दशहरा ( Dussehra Date ) के अलावा दुर्गा विसर्जन का त्योहार मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि कई साल बाद नवरात्र में दो सोमवार आएंगे। इसे बेहद शुभ माना जा रहा है। इस दिन शक्ति की गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्यादि उपचारों से पूजन करने से मनवांछित फलों की प्राप्ति होगी। कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
यह भी पढ़ें

नवरात्र में हाथी पर सवार होकर आएंगी दुर्गा माता


बाजारों में दिखेगी रौनक

9 दिनों में 6 दिन विशेष योग बनेंगे। जिसकी वजह से नवरात्रि की पूजा काफी शुभ और फलदायी होगी। 2 दिन अमृतसिद्धि, 2 दिन सर्वार्थ सिद्धि और 2 दिन रवि योग बनेंगे। जिसके चलते बाजारों में ग्राहकों की भरमार रहेगी। साथ ही कई ऑफर्स भी दिए जाएंगे।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की तिथि

29 सितंबर- प्रतिपदा- पहला दिन घट कलश स्थापना- शैलपुत्री30 सितंबर- द्वितीया- दूसरा दिन -ब्रह्मचारिणी पूजा1 अक्टूबर- तृतीया -तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा2 अक्टूबर- चतुर्थी -चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा3 अक्टूबर- पंचमी – पांचवां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा4 अक्टूबर-षष्ठी – छठा दिन- कात्यायनी पूजा5 अक्टूबर- सप्तमी – सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा6 अक्टूबर- अष्टमी- आठवां दिन-महागौरी, दुर्गाष्टमी, नवमी पूजन7 अक्टूबर- नवमी- नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण8 अक्टूबर- दशमी- दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
यह है मुहूर्त

शास्त्रों में घट स्थापना का समय द्विस्वभाव लग्न युक्त सुबह का बताया है। सुबह 6.22 बजे से 7.45 तक सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसके अलावा अभिजित मुहूत्र्त में दोपहर 11.54 से 12.41 तक भी घट स्थापना की जा सकती है। चौघडिय़ों के हिसाब से घट स्थापना करने वाले सुबह 7.51 से दोपहर 12.17 बजे तक क्रमश: चर, लाभ, अमृत के चौघडिय़ों में भी घट स्थापना कर सकते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो